Flood Area in India: मानसून आते ही देश के कुछ राज्यों में बाढ़ का भीषण रूप देखने को मिलता है। इतना ही नहीं, लाखों लोगों के जनजीवन को अस्त-व्यस्त करने के साथ ही बाढ़ करोड़ों रुपयों का नुकसान भी करती है। वैसे तो बारिश के दिनों में नदियों का जलस्तर बढ़ता ही है, लेकिन कुछ नदियां ऐसी हैं, जो बाढ़ के रूप में तबाही लेकर आती हैं।
इन राज्यों में सबसे ऊपर नाम आता है असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान का। इन राज्यों में बहने वाली नदियां बारिश के दिनों में कहर बनकर बहती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अकेले उत्तर प्रदेश में ही बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित होते हैं, जबकि असम में ये आंकड़ा एक करोड़ के आसपास होता है।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)
उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना के अलावा कई बड़ी नदियां भी बहती हैं। ज्यादातर नदियां पहाड़ों से आती हैं। मैदानी इलाकों में आकर सहायक नदियां इन मुख्य नदियों में मिलती हैं, जिसके कारण नदियों के किनारों पर बसे लोग प्रभावित होते हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यूपी में गंगा, शारदा, सरयू, घाघरा, राप्ती, बूढ़ी राप्ती और रोहिन नदी बहती हैं, जो बारिश होते ही खतरे के निशान को पार कर देती हैं। इसके अलावा आगरा जिले में मध्य प्रदेश की सीमा पर बहने वाली चंबल नदी भी बारिश के दिनों में भारी तबाही मचाती है।
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असम (Assam)
असम राज्य हर साल बाढ़ के दंश को झेलता है। यहां बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी बारिश के दिनों में तबाही का मंजर लेकर आती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, छोटी-बड़ी करीब 50 नदियां ब्रह्मपुत्र और बराक में मिलती हैं।
बारिश के दिनों में इन सहायक नदियों से पानी आने पर दोनों मुख्य नदियां बाढ़ की शक्ल ले लेती हैं। असम के बजाली, बारपेटा, बिश्वनाथ, दरांग, धेमाजी, गोलपारा, जोरहाट, कामरूप, लखीमपुर, नलबाड़ी, सोनितपुर और तामुलपुर जिले बाढ़ के कारण बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। इसके अलावा लगातार हो रही बारिश भी एक बड़ी समस्या है।
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh)
ब्रह्मपुत्र नदी असम के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश में भी बहती है। ब्रह्मपुत्र को अरुणाचल प्रदेश में सियांग के नाम से जाना जाता है। यहां लोहित और दिबांग ब्रह्मपुत्र की सबसे बड़ी सहायक नदियां हैं। इनके अलावा कामेंग, सुबनसिरी, दिहिंग, तिराप, सुमदोरंग, चू, नमका चू भी ब्रह्मपुत्र की अन्य सहायक नदियां हैं।
इन सभी नदियों के किनारे अरुणाचल प्रदेश की काफी संख्या में आबादी रहती है, जो बाढ़ के वक्त काफी प्रभावित होती है। बाढ़ के अलावा अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाके बारिश के कारण भूस्खलन की चपेट में भी हैं। भूस्खलन से यहां अब तक काफी नुकसान हो चुका है।
बिहार (Bihar)
बिहार में गंगा, सोन, कोसी, घाघरा, गंडक, बागमती, कमला और महानंदा नदियां बहती हैं। ये नदियां बारिश के दिनों में अपने पूरे उफान पर होती हैं, जिसके कारण लाखों लोगों का जन जीवन प्रभावित होता है।
बिहार में पटना के अलावा वैशाली, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, खगड़िया, सहरसा, भागलपुर, सारण, कटिहार, मुंगेर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, मधेपुरा और समस्तीपुर जिले बाढ़ से प्रभावित होते हैं। यहां बाढ़ के कारण हर साल लाखों हेक्टेयर जमीन पर खेती बर्बाद होती है, जिसके कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
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राजस्थान (Rajasthan)
वैसे तो राजस्थान की पहचान सूखे और रेगिस्तान से होती है, लेकिन राजस्थान का एक बड़ा इलाका लगभग हर साल बाढ़ से प्रभावित होता है। राजस्थान की प्रमुख नदियां चंबल, घग्घर, कांतली, काकनी, साबी, मेंथा, रूपनगढ़, रूपारेल, सागरमती हैं।
इनके अलावा लूणी, माही, सोम, जाखम, साबरमती, पश्चिमी बनास, सूकड़ी, जवाई, जोजड़ी, मीठड़ी आदि हैं। ये नदियां बारिश के दिनों में अपने पूरे उफान पर होती हैं, जिसके कारण बारां, झालावाड़, कोटा, धौलपुर, चितौड़गढ़, प्रतापगढ़ और भीलवाड़ा आदि इलाके बाढ़ की चपेट में आते हैं।
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