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बटर चिकन और दाल मखनी को लेकर लड़ाई पहुंची दिल्ली हाईकोर्ट, क्या है पूरा मामला?

Fight between Butter Chicken Dal Makhani reached Delhi High Court: बटर चिकन और दाल मखनी भारत के बहुत फेमस डिश हैं और लोग इसे बहुत पसंद करते हैं। इसके खोज के दावे को लेकर दो रेस्टोरेंट हाईकोर्ट पहुंच गए हैं।

Author Edited By : Shubham Singh Updated: Jan 20, 2024 16:44
Butter Chicken Dal Makhani
बटर चिकन और दाल मखनी

Case in Delhi High Court on who invented Butter Chicken Dal Makhani: मांसाहारी खाना खाने के शौकीन बटर चिकन तो पसंद करते ही होंगे। वहीं शाकाहारी लोग दाल मखनी बहुत पसंद से खाते हैं। लेकिन कौन से खाने की खोज किसने की यानी किसने इसकी पहली बार शुरुआत की। इस डिश की शुरुआत कैसे हुई यह जानना भी बहुत दिलचस्प होता है। कई फेमस फूड्स के बारे में यह बता पाना बहुत ही कठिन है कि उसकी खोज यानी उसे पहली बार बनाने वाला कौन था। अब बटर चिकन और दाल मखनी की शुरुआत को लेकर लड़ाई कोर्ट तक जा पहुंची। यह लड़ाई दिल्ली के दो फेमस रेस्टोरेंट के बीच है।

दो रेस्टोरेंट के मालिक इसे लेकर कोर्ट चले गए हैं। ये दोनों प्रसिद्ध रेस्टोरेंट दिल्ली के हैं। इसमें एक का नाम मोती महल तो दूसरे का नाम दरियागंज है। ये दोनों रेस्टोरेंट ये दावा कर रहे हैं कि वे बटर चिकन और दाल मखनी की खोज करने वाले यानी पहली बार बनाने वाले हैं। यह दिलचस्प लड़ाई दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच गई है। इस वजह से बटर चकन और दाल मखनी की खोज को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।

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मुकदमे में क्या आरोप लगाया गया है

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इंडिया टुडे ने बार और बेंच के हवाले से बताया है कि दोनों रेस्टोरेंट के बीच कानूनी लड़ाई तब शुरू हुई जब मोती महल के मालिकों ने बटर चिकन और दाल मखनी की शुरुआत करने की टैगलाइन का उपयोग करने के लिए दरियागंज रेस्तरां के मालिकों के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। इसमें आरोप लगाया गया कि इस तरह के दावे जनता को गुमराह करते हैं।

दरियागंज रेस्टोरेंट से मांगा गया जवाब

रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मामले में पहली सुनवाई 16 जनवरी को हुई। इसमें दरियागंज रेस्टोरेंट को समन जारी कर एक हफ्ते के अंदर लिखित जवाब देने के कहा गया। वहीं दरियागंज रेस्टोरेंट के वकील ने केस को बिना किसी आधार का बताया है।

क्या कहना है मोती महल रेस्टोरेंट का

मोती महल रेस्टोरेंट का कहना है कि इस डिश को बनाने का श्रेय उसके पूर्ववर्ती स्वर्गीय कुंडल लाल गुजराल को जाता है। उसका कहना है कि जब चिकन तंदूरी नहीं बिकती थी तो सूख जाती थी जिससे वे चिंतित रहते थे। इसी वजह से उन्होंने इसमें टमाटर, मक्खन, क्रीम और मसालों का इस्तेमाल करना शुरू किया जो आगे चलकर बटर चिकन बन गया।

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First published on: Jan 20, 2024 04:43 PM

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