Protest Against CAA In Assam : नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) यानी सीएए 11 मार्च से देश में लागू हो गया। इस अधिनियम के लागू होने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। सत्ता पक्ष ने जहां इसका स्वागत किया है तो वहीं विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। सीएए के लागू होने के बाद असम में विपक्षी दलों और संगठनों ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
असम में विरोध प्रदर्शन का आह्वान
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू होकर रहेगा। इसे लेकर असम में पिछले कुछ दिनों से तनावपूर्ण माहौल है। अब सीएए लागू होने के बाद क्षेत्रीय संगठनों और विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के आह्वान को देखते हुए गुवाहाटी में सड़कों के किनारे बांस के बैरिकेड लगा दिए गए हैं। इसके साथ ही, विधान सभा और जनता भवन की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
Guwahati police gave a legal notice to the Political parties who have called for a 'Sarbatmak Hartal' in Assam to protest against the CAA.
"Any damage to public/ private property including Railway and National Highway properties or injury to any citizen caused due to 'Sarbatmak… pic.twitter.com/vnO6uin76t
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) March 12, 2024
कॉटन यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन
सीएए के लागू होने के बाद सोमवार रात को ही कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। कॉटन यूनिवर्सिटी के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया गया था।असम जातीय परिषद के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने 11 मार्च को असम के लिए ‘काला दिन’ करार देते हुए पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी। असम जातीय परिषद का गठन 2019 के सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बाद हुआ है।
असम: कॉटन यूनिवर्सिटी के छात्रों ने किया CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
CAA and NRC | #CAA #CAARules | #NRC pic.twitter.com/flgVk9xSBP
— News24 (@news24tvchannel) March 11, 2024
असम में सीएए विरोध प्रदर्शनों का दिखा सबसे ज्यादा असर
गौरतलब है कि जब 2019 में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे तो असम में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिला था। यहां विरोध प्रदर्शनों के दौरान करीब 5 लोगों की मौत हुई थी। देश के अन्य हिस्सों में सीएए का विरोध इस वजह से हो रहा है कि इसके तहत केवल गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को ही भारत की नागरिकता मिलेगी, जबकि असम में लोग 24 मार्च 1971 के बाद असम में प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी शरणार्थी को नागरिकता देने के खिलाफ हैं। फिर चाहे वह किसी भी धर्म का हो।
We strongly oppose CAA, this act reverses what people of Assam has achieved through Assam accord in 1985, this act is contrary to supreme court’s order for a fair NRC. There are more than 200 petitions pending against CAA how govt can implement it? @AAP4Assam will not stop, our… pic.twitter.com/pSdznySMfj
— Rajesh Sharma ।ৰাজেশ শৰ্মা ।રાજેશ શર્મા 🇮🇳 (@beingAAPian) March 11, 2024
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1985 के असम समझौते का उल्लंघन है सीएए
सीएए का विरोध करने वालों का कहना है कि यह 1985 के असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो केंद्र सरकार और एएएसयू (All Assam Students’ Union) के बीच हुआ था। एएएसयू ने बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों के खिलाफ छह साल तक आंदोलन का नेतृत्व किया था। असम समझौते में 24 मार्च 1971 के बाद राज्य में आए विदेशियों को अवैध अप्रवासी के रूप में खोजने का प्रावधान है और राज्य में एनआरसी भी इसी कट-ऑफ तारीख के साथ तैयार की गई थी। हालांकि, CAA के साथ, मुसलमानों को छोड़कर, कट-ऑफ तारीख 2014 तक बढ़ा दी जाएगी।
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