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Same Gender Marriage: विरोध में उतरा बार काउंसिल ऑफ इंडिया, प्रस्ताव पारित कर कहा- ‘अदालत से नहीं होगा फैसला’

Same Gender Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में है। चीफ जस्टिस डीआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। इस बीच रविवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) इसके विरोध में उतर आया है। बीसीआई ने समलैंगिक विवाह काे कानूनी […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Apr 23, 2023 19:19
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Bar Council of India, same Gender marriages
Bar Council of India

Same Gender Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में है। चीफ जस्टिस डीआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। इस बीच रविवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) इसके विरोध में उतर आया है। बीसीआई ने समलैंगिक विवाह काे कानूनी मान्यता देने का विरोध करते हुए प्रस्ताव पारित किया है।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि संयुक्त बैठक की सर्वसम्मत राय है कि समलैंगिक विवाह के मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए, विविध सामाजिक-धार्मिक पृष्ठभूमि के हितधारकों के एक स्पेक्ट्रम को ध्यान में रखते हुए, यह सलाह दी जाती है कि यह सक्षम विधायिका द्वारा विभिन्न सामाजिक, धार्मिक समूहों को शामिल करते हुए एक विस्तृत परामर्श प्रक्रिया के बाद निपटाया जाए।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि देश के सामाजिक-धार्मिक ढांचे को देखते हुए हमने सोचा कि यह (समान-लिंग विवाह) हमारी संस्कृति के खिलाफ है। इस तरह के फैसले अदालतों द्वारा नहीं लिए जाएंगे। इस तरह के कदम कानून की प्रक्रिया से आने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सोमवार को होगी आखिरी बहस

सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को लगातार तीसरे दिन की सुनवाई करते हुए आगे की बहस के लिए 13 वकीलों के नाम गिनाए थे। साथ ही कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस सोमवार को खत्म होगी। इसके लिए वकील आपस में चर्चा कर समय का बंटवारा कर लें।

बता दें कि इस केस में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे हैं। जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी बहस कर रहे हैं। बता दें कि केंद्र सरकार सुनवाई का विरोध कर रही है। केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को प्रकृति के खिलाफ बताया है।

याचिकाओं पर सीजेआई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। जिसमें न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।

21 पूर्व न्यायाधीशों ने जताया था विरोध

समलैंगिक विवाह के विरोध में 29 मार्च को देश के पूर्व न्यायाधीशों के एक समूह ने चार पन्नों का एक खुला पत्र लिखा था। जिसमें 21 पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि जो लोग इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठा रहे हैं, हम सम्मानपूर्वक उनसे आग्रह करते हैं कि वे भारतीय समाज और संस्कृति के सर्वोत्तम हित में ऐसा करने से बचें। इसके परिणाम विनाशकारी होंगे।

भारत में विवाह का मतलब सिर्फ इच्छापूर्ति नहीं

पूर्व न्यायाधीशों ने कहा था कि भारत में विवाह का मतलब सिर्फ शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति नहीं है। बल्कि इससे दो परिवारों के बीच सामाजिक, धार्मिक और संस्कारों का गठबंधन होता है। दो विपरीत लिंगी के बीच शादी से उत्पन्न संतान समाज के विकास के लिए जरूरी है, लेकिन दुर्भाग्य से विवाह के महत्व का ज्ञान न रखने वाले कुछ समूहों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने मांग की थी कि इसका मुखर होकर विरोध किया जाना चाहिए।

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Written By

Bhola Sharma

First published on: Apr 23, 2023 07:16 PM

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