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World Sleep Day 2025: नींद की कमी से बढ़ जाती हैं ये 3 समस्याएं, डॉक्टर से जानें स्लीप साइकिल सुधारने का तरीका

नींद हमारी ओवरऑल हेल्थ के लिए सबसे जरूरी मानी गई है। नींद की कमी होने से हमारे दिमाग पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। नींद की कमी से डिमेंशिया से लेकर न्यूरो प्रॉब्लम्स में भी इजाफा होता है। आइए जानते हैं स्लीप डे के मौके पर नींद और उससे संबंधित रोगों के बारे में।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Mar 11, 2025 14:33
World Sleep Day 2025
World Sleep Day 2025

World Sleep Day 2025: लोगों को सेहतमंद रहने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का सही रहना भी जरूरी है। मेंटल हेल्थ में सुधार के लिए नींद की भी खास अहमियत होती है। नींद हमारी ओवरऑल हेल्थ के लिए जरूरी है लेकिन इसका मस्तिष्क पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ता है। लगातार नींद की कमी से जुझना आपकी याददाश्त को कमजोर कर सकता है। इस समस्या से सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है और अल्जाइमर तथा पार्किंसंस जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वर्ल्ड स्लीपिंग डे के अवसर पर आइए जानते हैं हेल्थ एक्सपर्ट से कि नींद का हमारी जिंदगी पर किस तरह प्रभाव पड़ता है।

नींद ब्रेन हेल्थ को कैसे प्रभावित करती है?

डॉक्टर विनीत बांगा, जो फोर्टिस अस्पताल, फरीदाबाद के न्यूरोलॉजी एक्सपर्ट हैं, बताते हैं कि नींद के दौरान हमारा मस्तिष्क कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं से गुजरता है, जैसे याददाश्त को मजबूत बनाना, दिमाग से अनचाही बातों को निकालना और भावनाओं को नियंत्रित करना। लिम्फेटिक सिस्टम नामक एक मानसिक प्रक्रिया गहरी नींद में सबसे ज्यादा सक्रिय होती है, जो मस्तिष्क से खराब पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इनमें बीटा-अमाइलॉइड नामक एक प्रोटीन भी शामिल है, जिसका संबंध अल्जाइमर रोग से होता है। यदि नींद पूरी न हो तो ये विषाक्त तत्व मस्तिष्क में जमा होने लगते हैं, जिससे मानसिक क्षमताएं और कमजोर हो जाती हैं।

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मेंटल हेल्थ और मूड स्विंग्स का संबंध

नींद की कमी से ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होती है, प्रतिक्रिया करने में सुस्ती और निर्णय (Decision) लेने की क्षमता कम हो जाती है। शोध बताते हैं कि सिर्फ एक रात की अधूरी नींद भी मानसिक स्वास्थ्य को शराब के नशे जितना प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, नींद की कमी से तनाव वाले हार्मोन यानी कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है, जिससे चिंता, डिप्रेशन और मूड स्विंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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लंबे समय तक होने वाले नुकसान

लगातार नींद की कमी से गुजरने पर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह मस्तिष्क में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचता है और ब्रेन फंक्शनिंग प्रभावित होती है। इसके अलावा, अनिद्रा (Insomnia) और स्लीप एपनिया जैसी नींद संबंधी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।

Dementia के खतरे को बढ़ाएं

डिमेंशिया सबसे सामान्य मेंटल हेल्थ डिजीज है, जो कि खराब नींद की क्वालिटी की वजह से बढ़ जाती है। डिमेंशिया में याददाश्त की कमी, सोचने-समझने की शक्ति पर असर, समय का ध्यान रखना, अपने ही घर का रास्ता भूल जाना और हिसाब-किताब करने में दिक्कत होना जैसी चीजें शामिल हैं।

Sleeping more in winter

Dementia के लक्षण

  • अपनी चीजों को रखकर भूल जाना।
  • छोटी-मोटी रोजमर्रा की आदतों में परेशानी होना, जैसे कि ब्रश करके भी भूल जाना।
  • भाषा को याद रखने में दिक्कत या किसी का नाम भूल जाना।
  • दवा खाने का समय भूलना या खाने के बाद ध्यान न रखना।

अच्छी नींद के लिए क्या करें?

मेंटल हेल्थ को सही रखने के लिए अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी है। वयस्कों को रोजाना 7-9 घंटे की नींद लेनी चाहिए ताकि मानसिक क्षमता सही रह सके। बेहतर नींद के लिए सोने से पहले स्क्रीन टाइम को कम करें, नियमित सोने-जागने का समय तय करें और तनाव को नियंत्रित करें।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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Edited By

Namrata Mohanty

First published on: Mar 11, 2025 02:07 PM

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