डाउन सिंड्रोम एक ऐसी जेनेटिक सिचुएशन है, जिसमें व्यक्ति के शरीर में 21वें क्रोमोसोम की एक एक्स्ट्रा कॉपी होती है। यह एक प्रकार का क्रोमोसोमल डिजीज है जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करता है। डाउन सिंड्रोम किसी भी इंसान के शरीर में जन्म के समय से ही होता है और इसे पूरी तरह से ठीक कभी भी नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके लक्षणों को समझकर प्रबंधित किया जा सकता है। हर साल 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस (World Down Syndrome Day) मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई जा सके और इसके साथ जी रहे लोगों के अधिकारों और उनके अच्छे जीवन के लिए उपायों को खोजा जा सके। चलिए जानते हैं इस सिंड्रोम से संबंधित बातें एक्सपर्ट से।
क्या है Down Syndrome?
जयपुर बेस्ड डॉक्टर मयूरी कोठीवाला बताती हैं कि शरीर में सेल डिवीजन के समय पर अगर किसी के शरीर में क्रोमोसोम की एक एक्स्ट्रा कॉफी डेवलप हो जाए, तो उससे बच्चे में जेनेटिक्ल इश्यू हो जाता है। डाउन सिंड्रोम इन जेनेटिक्ल प्रॉब्लम्स में सबसे कॉमन डिजीज होता है, जिसमें शरीर के अंदर 21वां क्रोमोसोम डिफेक्टिड हो जाता है यानी की उसकी एक अत्यधिक कॉपी हमारी बॉडी में डेवलप हो जाती है। 21वें क्रोमोसोम में एक पेयर यानी दो क्रोमोसोम को 1 और क्रोमोसोम मिल जाता है, जिससे वे तीन हो जाते हैं। इस स्थिति को ट्राइसोमी 21 कहते हैं।
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Down Syndrome से शरीर में क्या होता है?
डाउन सिंड्रोम की वजह से इंसान के शरीर में कॉग्निटिव हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इससे बच्चे का शारीरिक विकास प्रभावित होता है, जिस वजह से फेस की ग्रोथ भी कुछ अजीब दिखाई देती है। जैसे आंखों का बादाम के साइज जितना दिखना या झुकी हुई आंखें, छोटे कान, छोटी गर्दन और कानों के साइज भी अलग से दिखना।
डाउन सिंड्रोम के कुछ संकेत
हालांकि, एक्सपर्ट की मानें तो डाउन सिंड्रोम के लक्षण पर्सन टू पर्सन डिफ्रेंट हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण ऐसे होते हैं:-
मानसिक विकास में देरी, जिसमें इंसान की मानसिक क्षमता कमजोर दिखाई देती है। शारीरिक लक्षणों में छोटे आकार का सिर और गर्दन, आंखों के आकार में बदलाव, मांसपेशियों में कमजोरी
गले की त्वचा में अधिक चर्बी का होना।
किन दिक्कतों का करना पड़ता है सामना?
सुनने की समस्या होना।
दृष्टि समस्याएं यानी आंखों की समस्या।
पेट की समस्याएं, जैसे कब्ज या गैस अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा होना।
डाउन सिंड्रोम का इलाज
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, डाउन सिंड्रोम का अबतक कोई इलाज नहीं है, लेकिन इस बीमारी के लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है। बच्चों को शारीरिक विकास में मदद करने के लिए विभिन्न प्रकार की थेरेपी दी जाती है। बच्चों के लिए भाषाई विकास को बढ़ावा देने के लिए लैंग्वेज लर्निंग की व्यवस्था भी करवाई जाती है। ऐसे बच्चों की पढ़ाई के लिए विशेष शिक्षण संस्थानों का विकास किया गया है।
World Down Syndrome Day का महत्व
हर साल 21 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस इस समुदाय के लोगों के लिए एक विशेष दिन है, जिसमें डाउन सिंड्रोम के प्रति जागरूकता बढ़ाने, पीड़ितों के अधिकारों के समर्थन, और उनके जीवन को बेहतर बनाने के उपायों पर चर्चा की जाती है। कुछ मेडिकल रिपोर्ट्स बताती हैं कि दुनिया के हर 800 में से 1 बच्चे को यह समस्या हो सकती है। भारत में हर साल 25,000 से 30, 000 बच्चे डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होते हैं। साल 2021 में आई एक मलयालम फिल्म थिरिके में अहम भूमिका में दिखने वाले गोपीकृष्णन के वर्मा भी World Down Syndrome से पीड़ित हैं।
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