World Blood Donor Day 2025: शरीर में खून की कमी होना एक आम समस्या है लेकिन किसी को अचानक किसी इमरजेंसी में खून की जरूरत हो जाए और उसे खून न मिले, तो यह उससे भी बड़ी समस्या होती है। खाने-पीने और दवाओं की मदद से खून की कमी को दूर करना मुश्किल काम नहीं है लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ लोगों को खून की जरूरत इस प्रकार होती है कि उनके शरीर में खून चढ़ाने की जरूरत पड़ जाती है। एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में प्रतिदिन हजारों मरीजों को खून की जरूरत होती है। जैसे कोई मां, जो प्रसव में हैं और उसे इस दौरान खून की जरूरत हो जाए या कोई बच्चा कैंसर से लड़ रहा होता है या फिर किसी सड़क दुर्घटना का शिकार इंसान अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा होता है।
इसके बावजूद भी देश में हर साल औसतन 10 लाख यूनिट खून की कमी बनी रहती है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से बताता है कि चाहे लाखों लोग खून डोनेट कर रहे हों मगर फिर भी इसकी जरूरत पूरी नहीं हो रही है और पर्याप्त नहीं मिल पा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है अब इस मुहिम को प्रतीकात्मक अभियानों की जगह निरंतर और संगठित रक्तदान आंदोलन के जरिए ही पूरा किया जा सकता है।
वर्ल्ड ब्लड डोनर डे
हर साल 14 जुलाई को वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का कारण यह है कि लोगों के बीच रक्तदान के बारे में जागरूकता बढ़ सके। इस साल की थीम Give Blood, Give Hope, Together We Save Lives है। इस थीम का मतलब है रक्त दान कीजिए, आशा दीजिए और साथ मिलकर हम जीवन बचाएंगे। इस अवसर पर आइए जानते हैं डॉक्टरों से उन मरीजों के बारे में जिन्हें खून की जरूरत हमेशाा रहती है और खून डोनेट करने से क्या कोई नुकसान होता है या नहीं।
भारत में ब्लड डोनेशन की स्थिति क्या?
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल लगभग 1.46 करोड़ यूनिट खून की जरूरत होती है, लेकिन उपलब्धता में लगभग 10 लाख यूनिट खून की कमी रह जाती है। इस वजह से आपातकालीन इलाज में दिक्कतें आती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि रक्तदान करना पूरी तरह सुरक्षित और सरल प्रक्रिया है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में फैली भ्रांतियां और जानकारी की कमी लोगों को इससे दूर कर देती है।
क्यों भारत में ब्लड डोनेशन से पीछे हटते हैं लोग?
आकाश हेल्थकेयर के लैब सर्विसेज की प्रमुख डॉ. हरप्रीत कौर बताती हैं कि भारत में आज भी ब्लड डोनेशन को लेकर लोगों के बीच डर है। खासकर ग्रामीण इलाकों में ऐसी भ्रांतियां जैसे कि रक्तदान से कमजोरी आएगी या बीमार पड़ जाएंगे, लोगों को इससे दूर कर देती हैं। जबकि एक स्वस्थ व्यक्ति हर तीन महीने में एक बार सुरक्षित रूप से रक्तदान कर सकता है, और शरीर यह रक्त जल्द ही दोबारा बना लेता है।
इन रोगों में खून की जरूरत सबसे ज्यादा
डॉक्टर बताती हैं कि हम रोज कैंसर, थैलेसीमिया, ट्रॉमा और सीरियस इंजरी की सर्जरी के लिए मरीजों का इलाज करते हैं। इनमें से कई मामलों में समय-समय पर या फिर बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है। एक यूनिट खून देने से तीन जिंदगियां बचाई जा सकती हैं, क्योंकि उसे रेड सेल्स, प्लाजमा और प्लेटलेट्स में बांटा जा सकता है। फिर भी लोग खून डोनेट करने को लेकर लोगों में भ्रम रहते हैं।
ब्लड डोनेशन से सेहत को कोई नुकसान नहीं
एशियन हॉस्पिटल की पैथोलॉजी विभाग की निदेशक डॉ. उमा रानी के मुताबिक, लोग सोचते हैं कि खून देने के बाद उन्हें कोई समस्या नहीं होगी बल्कि फायदा ही मिलेगा। इससे हमारी सेहत को कई प्रकार के लाभ मिलेंगे, जैसे:-
- हार्ट हेल्थ में सुधार होगा, आयरन लेवल सही रहने से दिल की बीमारियों का रिस्क कम होता है।
- शरीर में बहुत अधिक आयरन होने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी कम होता है।
- एक बार ब्लड डोनेट करने से शरीर से लगभग 650 कैलोरी तक बर्न की जा सकती हैं, जिससे यह वेट लॉस में भी मदद करता है।
- रक्तदान के बाद हमारा शरीर नई RBCs (रेड ब्लड सेल्स) बनाता है, जिससे ब्लड सर्कूलेशन में सुधार होता है।
- आयरन के ओवरलोड की समस्या में राहत मिलती है, जिससे कई अंगों को सुरक्षा मिलती है।
- रक्तदान करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और तनाव में भी कमी आती है।
कौन कर सकता है ब्लड डोनेट?
जिन लोगों की आयु 18 से 65 वर्ष के बीच है और वह स्वस्थ है, तो ब्लड डोनेट कर सकता है। यदि किसी का वजन कम से कम 50 किलो या उससे ज्यादा है, तो रक्तदान किया जा सकता है। कोई गंभीर बीमारी न हो जैसे HIV, कैंसर या हेपेटाइटिस आदि तो भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
ई-रक्त कोष क्या है?
सरकार ने रक्तदान को आसान बनाने के लिए ‘ई-रक्त कोष’ जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरूआत की हैं, जो रियल टाइम में डोनर और अस्पतालों को जोड़ते हैं। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि ये तकनीक तभी सफल होगी जब लोग खुद आगे आएंगे।
लोगों में कैसे बढ़ेगी जागरुकता?
सिटी एक्स-रे और स्कैन क्लिनिक की निदेशक और लैब हेड डॉ. सुनीता कपूर बताती हैं कि शहरों से लोग फिर भी ब्लड डोनेट करने आते हैं लेकिन गांवों, कस्बों में आज भी समस्या बनी हुई है। इसके लिए वहां जमीनी स्तर पर लोगों को शिक्षा की जरूरत है। स्कूलों में कार्यक्रम, पंचायतों में संवाद और धार्मिक व सामाजिक नेताओं की भागीदारी फायदेमंद होगी।
ब्लड डोनेट करते समय ध्यान रखें ये 5 बातें
- रक्तदान से पहले भरपूर मात्रा में पानी पिएं और हल्का भोजन करें।
- डोनेशन के बाद थोड़ी देर आराम जरूर करें।
- आयरन युक्त आहार खाएं जैसे पालक, चुकंदर आदि।
- 24 घंटे तक कोई भी भारी काम या व्यायाम न करें।
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