Women Health Tips: 30 की उम्र पार करते ही महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं, जो आगे चलकर मेनोपॉज की ओर इशारा करते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस आयु के बाद महिलाओं को अपने हार्मोनल हेल्थ पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए और समय-समय पर जांच करानी चाहिए, ताकि भविष्य में होने वाली समस्याओं से वे बच सकें।
मेनोपॉज महिला के जीवन में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो तब होती है जब किसी महिला के मासिक धर्म यानी पीरियड्स स्थायी रूप से बंद हो जाते हैं। यह कोई समस्या या बीमारी नहीं होती है, ये सिर्फ एक महिला के जीवन में होने वाला एक बदलाव होता है जो थोड़ा मुश्किल भरा होता है। इसके लक्षण महिलाओं को पहले ही दिखने लगते हैं और ये बिना किसी तकलीफ के हो सके इसके लिए समय रहते कुछ चीजों पर ध्यान देना चाहिए।
प्री-मेनोपॉज के ये लक्षण न करें इग्नोर
30 की उम्र के बाद कुछ महिलाओं में प्री-मेनोपॉज के लक्षण जैसे पीरियड्स का सही समय पर न आना, थकान, मूड स्विंग, अचानक वजन बढ़ना, स्किन और बालों में बदलाव दिखाई देने लगते हैं। ये संकेत होते हैं कि महिला के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और थायरॉयड जैसे हार्मोन असंतुलित हो गए हैं।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना धवन बजाज बताती हैं कि 30 की उम्र के बाद महिलाओं को हर साल एक बार हार्मोनल प्रोफाइल, थायरॉयड, विटामिन-डी और विटामिन-बी12 और ब्लड शुगर की जांच जरूरी करवानी चाहिए। इससे कई बार छोटी समस्या का समय रहते पता लग जाता है और मेनोपॉज में दिक्कतें नहीं आती है।
मेनोपॉज की तैयारी उम्र से पहले क्यों जरूरी है?
मेनोपॉज आमतौर पर 45-50 साल की उम्र के बीच आता है लेकिन आजकल तनाव, लाइफस्टाइल और पोषण की कमी के कारण यह जल्दी भी शुरू हो जाता है। हार्मोन इंबैलेंस से हड्डियों में कमजोरी, हृदय रोग और मूड डिसऑर्डर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके लिए महिलाओं को समय रहते कुछ हार्मोनल टेस्ट करवाने चाहिए।
हार्मोनल चेकअप में क्या-क्या जांच शामिल होती हैं?
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का टेस्ट- ये टेस्ट शरीर के दोनों हार्मोन्स का उतार-चढ़ाव की जांच करता है।
थायरॉयड फंक्शन टेस्ट- जैसे कि T3- ये मेटाबॉलिज्म की जांच करता है। T4- ये थाइरोक्सिन टेस्ट होता है जो शरीर के विकास और ऊर्जा की जांच होती है। TSH- थाइरॉइड स्टिम्यूलेटिंग हार्मोन। ये थायरॉयड ग्लैंड्स की जांच करता है।
विटामिन-डी और विटामिन बी-12 टेस्ट।
FSH और LH टेस्ट– इसमें फर्टिलिटी और मेनोपॉज से जुड़े हार्मोन की जांच होती है।
ब्लड शुगर और लिपिड प्रोफाइल की जांच भी जरूर करें।
लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी
एक्सपर्ट बताते हैं कि सिर्फ जांच नहीं महिलाओं को अपनी लाइफस्टाइल में भी सही बदलाव करने चाहिए। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और तनाव नियंत्रण जैसी चीजों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। इससे हार्मोन्स का स्तर संतुलित बना रहता है और मेनोपॉज का अनुभव हल्का होता है। 30 के बाद हार्मोनल हेल्थ की नियमित जांच महिलाओं को आने वाले वर्षों में बेहतर स्वास्थ्य और जीवनशैली अपनाने में मदद करती है।
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