Organ Donation: अंगदान का मतलब है अपने शरीर के अंगों या ऊतकों का दान करना. अंगदान 2 तरह के होते हैं. एक होता है जीवित दान जो व्यक्ति जिंदा रहते हुए करता है, जैसे अपने लिवर के एक हिस्से का दान या गुर्दे का दान. दूसरा है मृत दान जो मृत्यु के बाद किया जाता है. अंगदान किसी जरूरतमंद की जिंदगी बचा सकता है. भारत में मानव अंगों की तस्करी पर बैन है और इसपर सख्त कानून बने हैं. व्यक्ति अंगदान के लिए अपनी इच्छा से फॉर्म भरकर यह फैसला करता है कि उसका शरीर दान के लिए दिया जाएगा. ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशू एक्ट के अनुसार मरीज का ब्रेन डेड होने पर उसका प्रमाण पत्र जारी हो जाने पर परिवार की सहमति से उसके अंगों का दान किया जा सकता है. मृत्यु के बाद होने वाले अंगदान में व्यक्ति के पूरे शरीर का दान (Body Donation) होता है और यह मेडिकल रिसर्च और शिक्षा या ट्रेनिंग देने के उद्देश्य से किया जाता है.
कौन कर सकता है अंगदान | Who Can Donate Organs
अंगदान जीवित या मृत व्यक्ति का होता है. जीवित व्यक्ति कुछ ही अंगों का दान कर सकता है जैसे एक किडनी, पैनक्रियाज का एक हिस्सा या लिवर का हिस्सा (Liver Donation). वहीं, ब्रेन डेड हुए व्यक्ति का शरीर दान के लिए आता है तो उसके किडनी, पैनक्रियाज, लिवर, दिल और टिशूज का दान किया जा सकता है. प्राकृतिक मृत्यु में कॉर्निया, ह्रदय वाल्व, हड्डियों और त्वचा का दान हो सकता है. डोनेशन के बाद इन अंगों को मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जाता है.
यह भी पढ़ें – घर पर ब्लड प्रेशर कैसे चेक करें? डॉक्टर ने बताया Blood Pressure चेक करने का तरीका
कौन नहीं कर सकता अंगदान?
AIIMS के अनुसार, जिन लोगों की मृत्यु की पुलिस इंवेस्टिगेशन चल रही हो उन्हें दान के लिए नहीं लिया जाता है. जिनके शरीर पर जलने की चोटें हों वे अंगदान के लिए अयोग्य हैं.
बॉडी डोनेट कैसे की जाती है?
जीवित रहते हुए व्यक्ति अंगदान के लिए फॉर्म भर सकता है. ये फॉर्म अस्पताल जाकर भरे जा सकते हैं या इन्हें ऑनलाइन भी भर सकते हैं. फॉर्म जमा कराते हुए दो गवाहों की जरूरत होती है. व्यक्ति की मृत्यु की स्थिति में उसके वयस्क निकटतम रिश्तेदार उसका अंगदान कर सकते हैं. शरीर के कौन-कौनसे अंग दान किए जा सकते हैं यह व्यक्ति की मृत्यु के कितने समय बाद अंगदान किया गया है इसपर निर्भर करता है. अंगदान के बाद शरीर अस्पताल को सौंप दिया जाता है.
डोनेट किए हुए शरीर को कैसे रखा जाता है?
डोनर के शरीर को एंबाल्मिंग नाम के केमिकल प्रोसेस (Embalming Process) से होकर गुजरना पड़ता है. इस बात का ध्यान रखना होता है कि मृत्यु के बाद शरीर तेजी से डिकंपोज होता है इसीलिए उसपर इस लेप को लगाया जाता है. इससे बैक्टीरिया दूर रहते हैं. इस एंबाल्मिंग फलुइड से ही शव संरक्षण होता है और शरीर अपघटन से बचता है. इसमें रसायन शरीर में इंजेक्ट किए जाते हैं. इसके बाद शरीर के कुछ अंगों को शरीर से निकाल लिया जाता है. फिर बॉडी के फ्लुइड्स की जांच की जाती है.
अंगदान के बाद ट्रांसप्लांट की समय सीमा क्या है?
अंगदान की प्रक्रिया जटिल होती है और समय रहते ट्रांसप्लांट (Organ Transplant) के लिए अंग निकालना भी आवश्यक है. व्यक्ति की मृत्यु के 4 घंटे के भीतर हार्ट ट्रांसप्लांट किया जाना जरूरी है, फेफड़ों के लिए समय सीमा 4 से 6 घंटों की भीतर है, अग्नाशय का ट्रांसप्लांट 6 घंटों के भीतर, आंतों का 6 घंटों के भीतर, किडनी का 72 घंटे के भीतर, हड्डियों और त्वचा का 5 साल तक, कॉर्निया का 14 दिन तक, लिवर का 24 घंटे तक और ह्रदय वाल्व के लिए समय सीमा 10 साल तक है.
डोनर के शरीर का आखिर में क्या होता है?
शरीर से अंग निकाल लेने के बाद और रिसर्च कार्य पूरा होने के बाद शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.
क्या डोनर की राख घरवालों को वापस दी जाती है?
AIIMS में स्टडीज और रिसर्च के लिए शरीर के इस्तेमाल के बाद डोनर के बचे हुए शरीर को या उसके शरीर के बायोप्रोडक्ट या राख को उसके परिवार को वापस नहीं किया जाता है. परिवार को अंतिमसंस्कार का दिन भी नहीं बताया जाता है. इसे लेकर सख्त नियम हैं.
क्या डोनर का परिवार शरीर देने से मना कर सकता है?
AIIMS के अनुसार, डोनर का परिवार मृत्यु के समय डोनेशन के लिए मना कर सकता है. उन्हें किसी तरह का कारण बताने की भी जरूरत नहीं होती है.
क्या शरीर डोनेट करने की कोई फीस देनी पड़ती है?
शरीर डोनेट करने की किसी तरह की फीस नहीं देनी पड़ती है और यह पूरा प्रोसेस डोनर के परिवार के लिए मुफ्त होता है.
यह भी पढ़ें- उठते, बैठते या लेटे-लेटे आते हैं चक्कर? न्यूरोस्पाइन सर्जन ने बताया कान से जुड़ी है यह बीमारी
अस्वीकरण – इस खबर को सामान्य जानकारी के तौर पर लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें या चिकित्सक से परामर्श करें. न्यूज 24 किसी तरह का दावा नहीं करता है.










