Republic Day 2025: 26 जनवरी को पूरा देश आजादी का जश्न मनाता है। इस दिन पब्लिक हॉलिडे होता है, ऐसे में लोग अपने घर में तरह-तरह के पकवान भी बनाते हैं। हालांकि, अपने देश में त्योहार कोई भी हो, खाने-पीने और व्यंजनों की अपनी एक अलग जगह होती है। स्वतंत्रता पाना आसान काम नहीं था। इसके लिए भारत के कई वीर सपूतों ने अपना खून-पसीना एक किया है। कई सैनानियों ने तो जान गंवा कर देश को आजादी दिलाई है। 26 जनवरी के दिन हम इन्हें याद करते हैं, ऐसे में हमें इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि रोटी, जो भारत का एक मूल भोजन माना जाता है, उसका स्वतंत्रता दिलाने में कितना योगदान रहा है। आइए जानते हैं।
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चपाती आंदोलन कब हुआ था?
वर्ष 1857 में भारत में चपाती आंदोलन हुआ था। जो कि मथुरा से शुरू हुआ था और पूरे देश में फैल गया था। इस आंदोलन में क्रांतिकारी और प्रदर्शनकारी रात के समय रोटी पकाते थे और वितरित करते थे, जो कि विद्रोह करने में सहायता प्रदान करता था। इन रोटियों का सफर 300 किलोमीटर तक का होता था। हालांकि, रोटियों का सही मकसद क्या था, यह अब भी साफ नहीं है लेकिन रोटियों के जरिए गुप्त संदेश भी भेजे जाते थे, यह माना जाता है। इस आंदोलन ने देश में विद्रोह को एक नया मोड़ भी दिया था।
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Republic Day 2025
अंग्रेजी अखबार की पुष्टि
चपाती आंदोलन के दौरान श्रीरामपुर नामक स्थान पर छपने वाला एक अंग्रेजी अखबार The Friends of India ने 5 मार्च, 1857 के अपने कॉलम में लिखा था कि जब रोटियां हर किसी थाने में पहुंचती थी, तो अंग्रेज इसे लेकर दुविधा में पड़ जाते थे और डर भी जाते थे। आज भी कुछ रिपोर्ट्स बताती है कि रोटियां ब्रिटिश मेल से भी तेज सप्लाई हुआ करती थी और एक रात में तैयार भी हो जाती थी। रिपोर्ट्स की मानें, तो रोटियां फरूखाबाद से गुड़गांव (अब का गुरुग्राम) और अवध से रोहिलखंड के रास्ते होते हुए दिल्ली भेजी जाती थी।
रोटी क्यों खानी चाहिए?
गेहूं की रोटी खाने से शरीर को फाइबर, विटामिन, मिनरल और प्रोटीन जैसे तत्व मिलते हैं। इसे रोजाना खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है। रोटी कार्बोहाइड्रेट्स का सोर्स है, इसे खाने से थकावट दूर होती है। रोटी खाने से आपको जल्दी भूख नहीं लगती है।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।