Health Tips: बरसात के मौसम में हम बार-बार बीमार हो जाते हैं। इसे हम वायरल फीवर के नाम से जानते हैं। वायरल बुखार कभी भी किसी को भी आ सकता है। यह आमतौर पर इंफेक्शन की वजह से होता है। मौसम बदलने के बाद भी लोगों को वायरल इंफेक्शन होता है। बता दें कि जो वायरल फीवर होता है, उस पर डॉक्टर बताते हैं कि इस फीवर में कभी भी 24 घंटे के अंदर शरीर का तापमान कम नहीं होता है। दवा लेने के बाद भी कम से कम 2 दिन बुखार सही होने में और पूरी तरह रिकवर होने में कम से कम 5 दिन का समय लगता है। मगर किसी इंसान को बार-बार वायरल फीवर क्यों होता है? चलिए जानते हैं इसका कारण।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पेस अस्पताल के जनरल मेडिसिन विभाग की डॉक्टर मोनिका जेती बताती है कि अधिकांश वायरल बुखार अपने समय के अनुसार ही सही होती है लेकिन इसके लिए हमें पर्याप्त रेस्ट और खान-पान का ध्यान देना चाहिए। वायरल बुखार और बैक्टीरियल बुखार के बीच अंतर न समझना।
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क्या है वायरल और बैक्टीरियल बुखार के बीच अंतर?
दरअसल, ये बुखार अलग-अलग होते हैं लेकिन इसके संकेत काफी हद तक सामान्य नजर आते हैं। इसके लक्षण एक जैसे होते हैं लेकिन वायरल फीवर को रिकवर होने में 1 हफ्ते का समय लगता है। वायरल फीवर में बुखार हल्का-हल्का होकर तेज और लंबे समय तक होता है। बैक्टीरियल फीवर में हमें बुखार तेज होता है। बैक्टीरियल बुखार में गले में खराश बहुत ज्यादा होती है। वहीं, वायरल बुखार में गले में खराश से ज्यादा नोज ब्लॉकेज होती है।
क्या गलती बार-बार वायरल की वजह बनती है?
वायरल बुखार और बैक्टीरियल बुखार अलग होते हैं। वायरल फीवर में मरीज को तापमान कम करने के लिए दवा दी जाती है जबकि वह इस दौरान एंटीबायोटिक्स खाता था। बैक्टीरियल फीवर में लोग बुखार और पेन कीलर खाते हैं, जबकि उन्हें इस बुखार में एंटीबायोटिक्स लेनी होती है।
क्या होता है दोनों का सही इलाज?
अगर आपको बार-बार वायरल इंफेक्शन के लक्षण दिख रहे हैं, तो आपको तुरंत दवा लेने से बचना चाहिए। एक्सपर्ट कहते हैं कि वायरल फीवर में रिकवरी 1 हफ्ते के अंदर हो जाती है। इसमें आपको पर्याप्त नींद के साथ-साथ आराम लेना प्राथमिकता होती है। वहीं, वायरल फीवर में आपको स्टीम, हाइड्रेशन और काढ़ा लेना चाहिए। अगर 3 दिन बाद भी लक्षणों में सुधार नहीं दिखाई दें, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
वहीं, बैक्टीरियल बुखार होने पर इसे इग्नोर करने से बचना चाहिए और डॉक्टर से परामर्श पर दवा लेनी चाहिए। कई बार बैक्टीरियल फीवर होने पर शरीर में खून की कमी हो जाती है। इसलिए, ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट जैसे कुछ सामान्य जांचें भी करवाई जाती है। बैक्टीरियल फीवर में कभी-कभी शरीर के किसी एक अंग में दर्द भी होता है।
दोनों के लक्षण
- खांसी और गले में खराश दोनों फीवर में होता है।
- नाक में खुजली और जलन वायरल में होता है।
- बुखार का तापमान कम से ज्यादा वायरल में होता है और बैक्टीरियल में तेज बुखार होता है।
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