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मेंटल हेल्थ को न करें इग्नोर, युवाओं को सुसाइड करने से ऐसे रोकें

Mental health: करियर की चिंता, मां बाप की उम्मीदें और जॉब पाने के दबाव के चलते युवा छात्र मानसिक रूप बीमार हो रहे हैं। मेंटल हेल्थ पर खुल का बात न होने के चलते यूथ सुसाइड कर रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट केआंकड़े चौकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कोटा में 10 […]

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Sep 15, 2023 08:44
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Mental health: करियर की चिंता, मां बाप की उम्मीदें और जॉब पाने के दबाव के चलते युवा छात्र मानसिक रूप बीमार हो रहे हैं। मेंटल हेल्थ पर खुल का बात न होने के चलते यूथ सुसाइड कर रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट केआंकड़े चौकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कोटा में 10 में से 4 छात्र मानसिक रूप से बीमार है। 2020 में हुए सर्वें के अनुसार, हर दिन 34 बच्चे जान दे रहे हैं। यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ भारत चांद पर पहुंच चुका है, वहीं दूसरी तरफ मां-बाप आज भी बच्चों के करियर सिक्योर देखना चाहते हैं। नौकरी में बढ़ते कॉम्पीिटशन के चलते बच्चों पर भी दवाब बढ़ता जा रहा है।

राजस्थान का कोटा शहर में देशभर से बच्चे कॉम्पीिटशन की तैयारी करने के लिए पहुंचते हैं। हर साल यहां आत्महत्या के मामले सामने आते हैं। 2023 में अब तक 25 बच्चे आत्महत्या कर चुके हैं। हाल में ही एक 16 साल की छात्रा के आत्महत्या का मामला सामने आया है। वह कोटा में पिछले 5 महीनों से नीट की तैयारी कर रही थीं। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, मीमांसा सिंह तंवर ने न्यूज 24 की डिजिटल टीम से बात करते हुए बताया कि कैसे बच्चों को ये कदम को उठाने से रोक सकते हैं।

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तेजी से बढे़ हो रहे बच्चे

डॉ. मीमांसा बताती हैं डिजिटल के इस दौर में बच्चे तेजी से बढे़ हो रहे हैं। हार्मोनल बदलाव और करियर की चिंता बच्चों को डिप्रेस कर रहे हैं। सोशल मीडिया के जमाने में बच्चों उम्र से पहले ही बढ़े हो रहे हैं। ऐसे में हमें अपने बच्चों को दोस्त की तरह समझते हुए उनकी चुनौतियों से लड़ना सीखाना होगा।

पढ़ाई के प्रेशर के साथ बुलीइंग कर रही परेशान

छोटी-सी उम्र से ही बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर बढ़ता जा रहा है। वहीं, बुलीइंग, सेल्फ कॉिनिफडेस की कमी बच्चों को परेशान कर रही है। सोशल मीडिया भी उनके दिमाग पर असर डाल रहा है। बच्चों में नाराजगी, डिप्रेशन तेजी से बढ़ रहा है।

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ऐसे रोके जा सकते हैं आत्महत्या के मामले

पेरेंटस को बच्चों के साथ दोस्तों की तरह बर्ताव करना चाहिए। उन्हें सीखाना चाहिए कि कोशिश करते रहें और प्रॉब्लम काे कैसे सॉल्व करें। बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वे कैसे तनाव को पहचान सकते हैं।

बिना झिझके मांगे मदद

युवाओं को भी मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात करनी चाहिए। मां-बाप, भाई-बहन, दोस्तों या फिर वे जिस पर भी विश्वास करते हों, उनसे बिना किसी झिझक के मदद मांगनी चाहिए।

सोशल मीडिया पर करें शेयर 

साइकोलॉजिस्ट बताती हैं कि जो बच्चे पढ़ाई, बुलीइंग या फिर किसी भी वजह से मानसिक तनाव से गुजर रहे हों, वे इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं। जब आपके साथ के लोग मेंटल हेल्थ से जुड़ा अपना एक्सपीरियंस शेयर करेंगे तो डिप्रेशन कम होता है। साथ ही आपको एक्सपर्ट लोगों से मदद भी मिलेगी।

Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।

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Written By

Deepti Sharma

First published on: Sep 15, 2023 08:44 AM

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