Medical Test Results Accuracy In India : जब भी किसी की हेल्थ के बारे में बात होती है तो बीमारी को डायग्नोस करने में और इलाज का तरीका तय करने में लैब रिपोर्ट्स का रोल काफी अहम होता है। लेकिन, क्या आपने कभी ये सोचा है कि ये रिपोर्ट्स कितनी सटीक होती हैं और इन पर कितना भरोसा किया जा सकता है? रुटीन ब्लड टेस्ट हो या कोई बड़ा टेस्ट, लैब रिपोर्ट्स के रिजल्ट्स पर ज्यादातर लोग आंख मूंदकर भरोसा कर लेते हैं। लेकिन, टेस्ट करने के तरीकों से लेकर ऐसे बहुत सारे फैक्टर्स होते हैं जो टेस्ट के रिजल्ट्स को को प्रभावित कर सकते हैं।
इस मुद्दे पर लाइफस्टायल एक्सपर्ट ल्यूक कूटिन्हो (Luke Coutinho) ने अपने पॉडकास्ट के एक एपिसोड में हेल्थकेयर एक्सपर्ट ध्रुव गुप्ता के साथ विस्तार से चर्चा की। ल्यूक ने इस एपिसोड के कैप्शन में लिखा है कि क्या आपके दिमाग में कभी यह ख्याल आता है कि आप अपनी लैब रिपोर्ट्स पर कितना भरोसा कर सकते हैं? दरअसल, लैब टेस्ट्स की एक्यूरेसी, टेस्ट के लिए इस्तेमाल किए गए तरीके और भरोसेमंद लैब, इनसे जुड़े सवाल हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होते हैं जिन्हें अपने स्वास्थ्य की चिंता है। आइए जानते हैं एक्सपर्ट्स इसे लेकर क्या कहते हैं।
From testing methodologies to the lab’s accreditation, there are various factors that can influence the outcomes of your medical test report. Lifestyle expert Luke Coutinho discussed this with healthcare expert Dhruv Gupta In His Podcast. https://t.co/pw4lFxeCWb
— Gaurav Pandey (@penn_gaurav_) September 27, 2024
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कैसे हो जाती है रिपोर्ट में गड़बड़ी?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार यशोदा सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल कौशांबी में पैथोलॉजी लैब और ब्लड बैंक के डायरेक्टर डॉ. सचिन रस्तोगी कहते हैं कि टेस्ट के विषम परिणाम स्टैंड-अलोन (एकल) लैब्स में बहुत ज्यादा कॉमन नहीं हैं। लेकिन, हॉस्पिटल-बेस्ड लैब्स में ये काफी ज्यादा कॉमन हैं जहां पैथोलॉजिस्ट्स मरीज की क्लिनिकल हिस्ट्री आसानी से देख सकते हैं। डॉ. रस्तोगी का कहना है कि ऐसी लैब्स में टेस्ट मरीज की क्लिनिकल कंडीशन से जुड़ सकते हैं। ऐसे में प्री-एनालिटिकल चेक यानी पूर्व विश्लेषणात्मक जांच करना बहुत जरूरी हो जाता है।
🚨 WARNING: Fake Laboratory Report Alert! 🚨
It’s crucial for patients to be vigilant and verify the authenticity of their lab reports to protect their health. Let’s break down this fake report: pic.twitter.com/TSARH6mids— Faniyi Akinwale (@faniyi_akinwale) September 19, 2024
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भरोसेमंद रिपोर्ट के लिए क्या करें?
डॉ. रस्तोगी ने बताया कि उदाहरण के तौर पर कभी-कभी डिहाइड्रेशन के मामले में बढ़े हुए पैरामीटर दिखते हैं, जो इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं। लेकिन, टेस्ट रिपोर्ट बढ़े हुए पैरामीटर्स को देखते हुए बनाई जाती है जो गलत हो सकती है। यहां तक कि डाइल्यूटेड या क्लॉटेड सैंपल भी गलत परिणाम का कारण बन सकता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए NABL (नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिबरेशन लैबोरेटरीज) की ओर से मान्यता प्राप्त लैब में ही टेस्ट कराना चाहिए ताकि मेडिकल टेस्ट की रिपोर्ट में गड़बड़ी की संभावना कम से कम हो सके।
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