Intermittent Fasting: लिवर शरीर के सबसे इंपॉर्टेंट ऑर्गन में से एक है। इसका काम शरीर और खून में मौजूद वेस्ट प्रोडक्ट्स को बाहर करने और एंजाइम के साथ-साथ पित्त का निर्माण करना है। अनहेल्दी डाइट और जीवनशैली के साथ-साथ खानपान में गड़बड़ी के कारण लिवर से जुड़ी बीमारियां होती हैं। लिवर में सूजन, इन्फेक्शन और फैटी लिवर की समस्या कै साथ ही लिवर कैंसर का खतरा बढ़ता है।
लिवर कैंसर एक गंभीर बीमारी मानी जाती है। इस बीमारी में सही समय पर इलाज न करने से लिवर काम करना बंद कर देता है और इसके कारण मरीज की मौत भी हो सकती है। इसके लिए डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार कर लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव कर सकती है।
ऐसे में एक हालिया स्टडी में पाया गया कि 5:2 शेड्यूल का फॉलो करते हुए इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से फैटी लिवर रोग को रोकने में मदद मिल सकती है, जो लिवर में सूजन का कारण बनता है और फिर लिवर कैंसर का कारण बन सकता है। जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर (German Cancer Research Center (DKFZ)और ट्यूबबैंगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने देखा कि फास्ट उन चूहों में लिवर कैंसर के विकास को कम करने में मदद करता है, जिसके लिवर में पहले से ही सूजन है।
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी में सबसे गंभीर क्रोनिक लिवर डिसऑर्डर है। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं और अगर इलाज न किया जाए, तो यह लिवर में सूजन, सिरोसिस और लिवर कैंसर की वजह बनता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि लिवर सेल्स में दो प्रोटीन फास्टिंग करने से लाभ देते हैं। अनहेल्दी डाइट, मोटापा, लिवर की सूजन और लिवर कैंसर का इफेक्ट्स लोगों से जुड़ा है।
वैज्ञानिकों ने चूहों को डाइट के अनुसार हाई शुगर और हाई फैट वाला आहार खिलाया। इन जानवरों का वजन और शरीर में फैट बढ़ गया और पुरानी लिवर की सूजन विकसित हो गई। चूहों के दूसरे समूह को सप्ताह में दो दिन खाने के लिए कुछ नहीं दिया गया, लेकिन उन्हें अन्य दिनों में जितना चाहें उतना खाना दिया गया। हाई कैलोरी डाइट के बावजूद, इन जानवरों का वजन नहीं बढ़ा, उनमें लिवर की बीमारी के कम लक्षण दिखे और उनमें लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले बायोमार्कर का लेवल कम था।
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने वाले और फास्टिंग न करने वाले चूहों के लिवर में प्रोटीन, मेटाबॉलिज्म और जीन एक्टिविटी की तुलना की। रिसर्चर ने कम पीपीएआर ए और पीसीके1 के साथ समान मॉलिक्यूलर पैटर्न पाया गया। जब चूहों की लिवर सेल्स में दोनों प्रोटीन जेनेटिक रूप से एक साथ बंद हो गए, तो इंटरमिटेंट फास्टिंग पुरानी सूजन या फाइब्रोसिस को रोकने में असफल था।
फास्टिंग से डीप मेटाबॉलिज्म चेंज होते हैं, जो एक साथ लाभकारी डिटॉक्सिफिकेशन के रूप में काम करते हैं और एमएएसएच (Metabolic Dysfunction Associated Steatohepatitis) से निपटने में मदद करते हैं। 5:2 इंटरमिटेंट फास्टिंग में काफी संभावनाएं हैं। एमएएसएच और लिवर कैंसर की रोकथाम के साथ-साथ पुरानी लिवर सूजन के उपचार में भी मदद करते हैं।
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