Jagdeep Dhankhar Health Issues: देश के उपराष्ट्रपति ने कल रात इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के चलते पद से हटने का निर्णय लिया है जबकि उनके कार्यकाल को समाप्त होने में अभी 2 साल (2027) बाकी थे। धनखड़ इस साल मार्च में एम्स में दिल की समस्या के चलते भर्ती हुए थे। उन्हें CCU यानी कोरोनरी केयर यूनिट में रखा गया था। उनकी निगरानी एम्स के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर राजीव नारंग कर रहे थे। उस समय उनकी स्थिति गंभीर थी जिस वजह से उन्हें तत्काल रूप से उस वार्ड में रखा गया था। आइए जानते हैं उनकी बीमारी के बारे में।
डॉक्टरों ने क्या कहा था?
मार्च में भर्ती होने के बाद डॉक्टरों ने कहा था उम्र के लिहाज से उनकी सेहत में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। धनखड़ के साथ भी ऐसा था, भले ही परेशानी कम हो लेकिन उन्हें उनकी आयु के मुताबिक गंभीर मरीजों की श्रेणी में ही रखा जाता है। इसके अलावा, धनखड़ को हाई बीपी, थकान और कार्डियक स्ट्रेस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को सुबह-सुबह AIIMS दिल्ली के कार्डियक विभाग में भर्ती कराया गया। उनकी हालत स्थिर है और उन्हें निगरानी में रखा गया है: AIIMS अस्पताल सूत्र
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कब रखा जाता है CCU वॉर्ड में?
वैरी वेल हेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक, सीसीयू यूनिट में रखे गए मरीजों को हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं, जिनमें आमतौर पर गंभीर, तेज या अस्थिर हार्ट प्रॉब्लम्स होती हैं। मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार लाया जा सके इसलिए इस वॉर्ड को स्पेशली बनाया गया है। सीसीयू यूनिट में मरीज को 24 घंटे देखभाल और निगरानी में रखा जाता है। धनखड़ CCU के क्रिटिकल कोरोनरी केयर यूनिट में रखे गए थे। इस यूनिट में तब रखा जाता है, जब वह इन हेल्थ कंडिशन्स का सामना कर रहा हो:
- हार्ट फेलियर।
- हार्ट अटैक।
- दिल की धड़कनों का तेजी से असामान्य होना।
- एनजाइना, जिसमें मरीज को लगातार छाती में दर्द होता है।
- दिल की सर्जरी के बाद।
- कार्डियक अरेस्ट के बाद।
इसके अलावा कई बार इस यूनिट में ऐसे रोगियों को भी रखा जाता है जो गंभीर किडनी प्रॉब्लम से जूझ रहे होते हैं या रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम फेस करते हैं। अगर फेफड़ों में खून जमने लगे या हाई बीपी की समस्या बहुत अधिक हो, तो भी इस वार्ड में रखा जाता है।
उम्र बढ़ने पर कौन-कौन सी दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ता है?
- दिल की धमनियों की रुकावट की समस्या।
- हार्ट फेलियर।
- दिल की धड़कनों का अनियमित तरीके से कम या तेज होने की समस्या।
- दिल के वाल्व मोटे या सख्त होना जिससे खून का सर्कुलेशन बिगड़ सकता है।
- कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक।
- कार्डियोमायोपैथी, जिसमें दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
क्या है दिल की बीमारियों के शुरुआती संकेत?
- इसका सबसे आम लक्षण है सीने में दर्द होना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- सामान्य से ज्यादा थकान महसूस करना।
- दिल की धड़कन का असामान्य तरीके से तेज होना।
- कोल्ड स्वेट।
- चक्कर आना।
- शरीर के किसी अंग में दर्द होना जैसे कि पीठ, गर्दन, जबड़ा या पेट।
कैसे किया जा सकता है बचाव?
- रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाएं जिसमें BP, कोलेस्ट्रॉल और शुगर की जांच होगी।
- हेल्दी डाइट खाएं, कम नमक, लो फैट फूड्स और फल-सब्जियों का सेवन ज्यादा करें।
- हल्का व्यायाम जैसे वॉक या योग करें।
- तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन का सहारा लें और नींद पूरी करें।
- स्मोकिंग और शराब से परहेज करें।
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