Genetic Test: आजकल की बदलती लाइफस्टाइल को को देखते हुए महिलाओं को अपनी हेल्थ पर खास ध्यान देना चाहिए। आज के समय में महिलाओं में स्तन कैंसर, हार्ट से जुड़ी बीमारियों और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) जैसी कई बीमारियों खतरा रहता है। इन समस्याओं का समय पर इलाज कराने के लिए जेनेटिक टेस्ट सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है। इस टेस्ट के लिए आपके लार, बाल या खून के सेंप्ल लिए जाते हैं। इस टेस्ट से उन बीमारियों का पता लगाया जाता है ,जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होती है। आइए जानते हैं कि वह कौन-कौन से टेस्ट हैं।
फार्माकोजेनोमिक्स टेस्ट
फार्माकोजेनोमिक्स टेस्ट में इस बात की जाती है की कौन सी दवाएं आपको फ़ायदेमंद होंगी और कौन सी दवाएं लेने के लिए सुरक्षित होगी। महिलाएं, विशेष रूप से पुरानी बीमारियों को ठीक करने के लिए इसकी फायदा उठा सकती है।
ये भी पढ़े- शरीर में प्रोटीन की कमी के होते हैं ये 3 संकेत, जानें कैसे करें पूरी
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 13 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से परेशान हैं। पीसीओएस के लक्षण वजन बढ़ना, मुंहासे और बांझपन तक हो सकते हैं। जेनेटिक टेस्ट एक रोगी का सही तरीके से इलाज करने में मदद करता है।
हार्ट से जुड़ी बीमारियां
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने पाया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। जेनेटिक टेस्ट इस बीमारी के बारे में सटीक जानकारी देने में मदद करता है, जिसमें हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया, यूएफएस 1 और टीआई एमपी 3 जैसी बीमारी शामिल है।
ब्रेस्ट कैंसर
जेनेटिक टेस्ट स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर से जुड़ी समस्याओं को समय पर पहचानने के लिए भी किया जाता है। यूएस-सीडीसी का अनुसार, लगभग 10 प्रतिशत स्तन कैंसर जेनेटिक होती हैं, जिसका समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी हो जाता है।
नूबोर्न स्क्रीनिंग
ये टेस्ट नवजात बच्चे के जन्म के तुरंत बाद की जाती है। इसमें नवजात के आनुवंशिक विकारों की पहचान करते हैं जिसके बाद बच्चों में बीमारी का पता लगते ही इलाज किया जाता है, ताकि उसे आगे चलकर कोई परेशानी न हो।
ये भी पढ़े- विटामिन डी की कमी के होते हैं ये 3 संकेत, जानें कैसे करें बचाव
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।