Fatty Liver Symptoms: फैटी लिवर की बीमारी दुनियाभर में तेजी से फैल रही है। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा युवा आ रहे हैं। ये गंभीर स्थिति है क्योंकि इस बीमारी का कारण लाइफस्टाइल है। ऐसे में माना जा सकता है कि अब के यूथ के लोगों की जीवनशैली कितनी बिगड़ चुकी है। भारत में भी फैटी लिवर की बीमारी बहुत ज्यादा बढ़ रही है। इस पर चौंकाने वाली बात यह है कि डेस्क जॉब या IT प्रोफेशन के जो लोग है, उन्हें फैटी लिवर सबसे ज्यादा हो रहा है। चलिए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
फैटी लिवर क्या है?
यह बीमारी लिवर से संबंधित बीमारी होती है। इसके दो मुख्य प्रकार होते हैं-एल्कोहॉलिक और नॉन-एल्कोहॉलिक। पहले एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के मामले ज्यादा पाए जाते थे लेकिन अब नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के केस ज्यादा देखने को मिलते हैं। इंडियन मेडिकल काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, फैटी लिवर की बीमारी के सबसे ज्यादा मरीज आईटी सेक्टर के लोग होते हैं। आंकड़ों में पाया गया है कि इस प्रोफेशन में काम करने वाले लगभग 84% कर्मचारियों में ये बीमारी पाई जाती है।
फैटी लिवर में हमारे लिवर में वसा यानी फैट जमा हो जाता है। इसमें लिवर में बहुत ज्यादा मात्रा में फैट जमा हो जाता है। शराब ज्यादा पीने वाले लोगों को पहले फैटी लिवर होता था मगर जो शराब नहीं पी रहे हैं, उन्हें फैटी लिवर हो रहा है क्योंकि वे बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहते हैं। खान-पान सही नहीं होता है या वे शारीरिक व्यायाम नहीं करते हैं। इनके नाम AFLD और NFLD होते हैं।
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फैटी लिवर के कारण
NFLD यानी नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के कारणों में मोटापा, डायबिटीज, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल और इंसुलिन रेजिस्टेंस शामिल है। मगर एक्सपर्ट मोटापे की समस्या को क्यों बड़ा मानते हैं?
दरअसल, नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर का सबसे बड़ा कारण मोटापा इसलिए माना जाता है क्योंकि ये हमारे शरीर में कैलोरी की मात्रा को बढ़ाता है। सरगंगा राम अस्पताल के को-चेयरपर्सन और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट कहते हैं कि युवाओं की सिडेंटरी लाइफस्टाइल की वजहें से वे पूरे दिन कुर्सी पर बैठते हैं। ये लोग फास्ट फूड का सेवन इतना ज्यादा करते हैं कि शरीर में फैट बढ़ने लगता है। मोटापे से डायबिटीज की बीमारी भी होती है, जो एक और कारण होता है फैटी लिवर का।
इसके अलावा, एक्सपर्ट कहते हैं कि मीठे लिक्विड्स का सेवन करना, समय पर न सोना और नींद पूरी न करना, शारीरिक रूप से कम मूवमेंट करना और हार्मोन्ल इंबैलेंस की समस्या होना। स्ट्रेस भी एक कारण है क्योंकि इससे लोगों की ओवरइटिंग भी होने लगती है।
ऐसे होते हैं फैटी लिवर के संकेत
- लगातार थकान महसूस करना।
- कमजोरी महसूस करना।
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना।
- पेट में भारीपन या सूजन होना।
- पीलिया होना।
- वजन बढ़ना।
फैटी लिवर को समय रहते कंट्रोल करना जरूरी होता है क्योंकि आगे चलकर ये बीमारी लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।

कैसे होगा बचाव?
एक्सपर्ट बताते हैं कि फैटी लिवर को दूर रखने के लिए हमें शराब और धूम्रपान से दूरी बनानी चाहिए।
- प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम से कम करना चाहिए।
- रोजाना 30 से 40 मिनट व्यायाम जरूर करें।
- पेट के पास चर्बी को बढ़ने न दें।
- साल में एकबार अल्ट्रासाउंज और फाइब्रोस्कैन की जांच जरूर करवाएं।
- खान-पान का ध्यान रखें। अपनी डाइट में ताजी और मौसमी फलों और सब्जियों को शामिल करें। दाल, अनाज और एंटीऑक्सीडेंट युक्त चीजों का सेवन बढ़ाएं।
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