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Covid-19: क्या फेफड़ों पर इस बार भी होगा संक्रमण? क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट

Covid-19: कोरोना वायरस एक बार फिर से दुनिया में फैलने लगा है। यह वायरस पिछली बार लोगों के फेफड़ों की सेहत को प्रभावित कर रहा था। क्या इस बार नए वेरिएंट्स भी लंग हेल्थ को प्रभावित करेंगे? आइए जानते हैं।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: May 30, 2025 14:00

Covid-19:  पांच साल पहले कोरोना वायरस ने दुनिया में अपनी ऐसी छाप छोड़ी थी कि लोग आज भी इसे नहीं भूले हैं। अब एकबार फिर से कोरोना का कहर दुनिया में मचने लगा है। यह जानलेवा वायरस है, जिसने लाखों लोगों की जान ले ली थी। इस वायरस से संक्रमित होने के बाद मरीजों को फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां होती थी। दरअसल, कोरोना का वायरस श्वास नली को डैमेज करता था। क्या इस बार के वेरिएंट्स भी लंग हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं? आइए जानते हैं एक्सपर्ट से।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

शारदा केयर हेल्थसिटी में श्वसन चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ सलाहकार, डॉक्टर देवेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि कोविड-19 फिर से लौट रहा है और इसके साथ ही एक बार फिर फेफड़ों की सेहत को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। अब तक की रिसर्च और डॉक्टर्स की रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लोगों को लंबे समय तक सांस लेने में दिक्कत, थकान, और खांसी जैसी समस्याएं झेलनी पड़ी थी। तो इस बार ऐसा होगा या नहीं।

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फेफड़ों में स्कारिंग और फाइब्रोसिस

कोविड-19 के सबसे चिंताजनक और लॉन्गटर्म समस्याओं में से एक पल्मोनरी फाइब्रोसिस है, जो फेफड़ों के सैल्स में घाव या स्कारिंग की स्थिति पैदा करता है। रिसर्च से पता चला है कि कोरोना से उबरने वाले व्यक्तियों का आंकड़ा बताता है कि उन्हें ये समस्याएं हुई थी। कई रिसर्च से पता चला है कि कोरोना से उबरने वाले व्यक्तियों में से 50% लोगों में पल्मोनरी फाइब्रोसिस के संकेत देखने को मिले हैं। यह स्कारिंग ब्लड सर्कुलेशन में ऑक्सीजन की सप्लाई की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ और पुरानी खांसी जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।

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लंबे समय तक रहने वाले लक्षण

कोरोना से ठीक हो चुके कई लोग महीनों तक क्रॉनिक खांसी, सांस फूलना, और थकान जैसी समस्याओं से जूझते हैं। एक स्टडी बताती है कि करीब 60% मरीजों में ऐसे लक्षण 3 से 6 महीने बाद भी रहते हैं।

क्या इस बार डरने की जरूरत

डॉक्टर के मुताबिक, पिछली बार कोरोना वायरस के वेरिएंट्स ने सांस संबंधी रोगों का विकास किया था। मगर इस बार ऐसी संभावनाएं कम जताई जा रही हैं क्योंकि इस बार के वेरिएंट्स इम्यूनिटी पर अटैक कर रहे हैं, जिन लोगों की इम्यूनिटी यदि कमजोर है, तो वायरस तुरंत उन्हें घेरे में ले रहा है। इसके अलावा, अगर कोई ऐसी बीमारियों से ग्रसित हैं जैसे कि डायबिटीज, हाई बीपी और अस्थमा, तो उन्हें दिक्कत हो सकती है।

लॉन्ग कोविड वाले मरीज रहें सतर्क

पिछली बार कोरोना के लॉन्ग टाइम कोविड के मरीजों को सांस संबंधी समस्याएं हुई थी। हालांकि, इस बार कोरोना के लक्षण हल्के हैं लेकिन फिर भी जो मरीज पिछली बार कोरोना से प्रभावित मरीज हुए थे, उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।

क्या करें?

  • अगर आप कोरोना वायरस के मरीज रह चुके हैं और लगातार सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं, तो फेफड़ों की जांच (जैसे HRCT स्कैन या PFT टेस्ट) जरूर करवाएं।
  • स्मोकिंग से बचें, फेफड़ों को आराम दें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • अगर थकान या सांस फूलने की समस्या बढ़ रही है, तो फिजिशियन या पल्मोनोलॉजिस्ट से जरूर कंसल्ट करें।

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First published on: May 30, 2025 02:00 PM

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