ब्रिटेन की यह चमत्कारी खबर सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। एक महिला ने पहली बार अपनी सगी बड़ी बहन से यूटेरस ट्रांसप्लाट करवाकर मां बनी। एक मां के लिए इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती। बता दें कि ब्रिटेन की निवासी ग्रेस डेविडसन(36वर्ष) ने 27 फरवरी को लंदन के क्वीन चार्लोट्स एंड चेल्सी अस्पताल में एमी नामक एक स्वस्थ एवं प्यारी बच्ची को जन्म दिया। 2 साल पहले उन्होंने जीवन बदल देने वाले यूटेरस ट्रांसप्लांट को करवाया था।
आइए जानते हैं ग्रेस डेविडसन के बारे में
ग्रेस डेविडसन का जन्म ब्रिटेन के मेयर-रोकिटांस्की-कुस्टर-हाउसर (MRKH) सिंड्रोम नामक एक बीमारी के साथ हुआ था। जिसका मतलब है कि उसका यूटेरस काम नहीं कर सकता और वह मां नहीं बन सकती। लेकिन उसके ओवरी स्वस्थ एवं सलामत थे। उसने सालों तक मां बनने के लिए बहुत सारे डॉक्टर से ट्रीटमेंट भी लिया और कई तरीके भी खोंजे लेकिन वह हर बार नाकायब रही। उसने एक बच्चे को गोद लेने के लिए पूरा मन बना लिया था लेकिन जैसे ही उसने यूटेरस ट्रांसप्लांट के बारे में सुना तो उसने इसे एक रियल ऑप्शन के रुप में मानना शुरु कर दिया।
बड़ी बहन ने दिया यूटेरस दान में
बता दें कि ग्रेस की बड़ी बहन एमी पर्डी(42वर्ष) जिनकी पहले से ही दो बेटियां थीं। बड़ी बहन ने छोटी बहन की मदद करने के लिए उसने अपना यूटेरस दान करने का फैसला कर लिया। ग्रेस की बहन बहुत ही दयालुमयी थी ताकि उसकी बहन को मां बनने का मौका मिल सके। ट्रांसप्लाट सर्जरी फरवरी 2023 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के एक हिस्से ऑक्सफोर्ड ट्रांसप्लांट सेंटर में हुई।
10 सालों तक किया इंतजार
ग्रेस के पति एंगस डेविडसन ने अपनी भावनाओं को करीब 10 सालों से अपने दिल में दबाकर रखे हुए थे। इतने सालों तक इंतजार करने के बाद उन्होंने बताया कि हम अपने दिल इमोशन्स को छुपाकर रखे थे। साथ ही उन्होंने दुःख भरे शब्दों में बताया कि जब एमी का जन्म हुआ तो हमारी आंखे आंसुओं से भर आई थीं। ग्रेस को मां बनने के लिए डॉक्टरों, नर्सों और रिसर्चों की एक टीम ने हमारा पूरा साथ दिया। यूके के यूटेरस ट्रांसप्लाट प्रोग्राम के मुख्य डॉक्टरों में से एक प्रोफेसर रिचर्ड स्मिथ ने कहा कि एमी का जन्म 25 से भी ज्यादा सालों के मेडिकल रिसर्च और कोशिश का परिणाम है।
100 से ज्यादा हो चुके यूटेरस ट्रांसप्लांट
बता दें कि स्वीडन में 2013 में पहली बार डॉक्टरों की कड़ी मेहनत के बाद सफल यूटेरस ट्रांसप्लांट सक्सेजफुल हुआ था। जो अब तक दुनिया भर में 100 से ज्यादा यूटेरस ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। इस मेडिकल संबंधी सफलता की बदौलत अब तक करीब 50 से ज्यादा स्वस्थ बच्चे पैदा हुए हैं। ग्रेस को उम्मीद है कि उनकी यह प्रेरणादायक कहानी सबसे ज्यादा महिलाओं को प्रेरित करेगी। अगर कोई महिला मां नहीं बन सकती तो उसको भी यही उम्मीद होगी कि हम भी मां बनने की खुशी का अनुभव कर सकते हैं।
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