Zakir Hussain Long Hair Story: फेमस तबला उस्ताद और संगीत के महानायक जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया। वो लंबे समय से फेफड़ों से जुड़ी समस्या से जूझ रहे थे और इलाज के दौरान अमेरिका में उनकी मृत्यु हो गई। उनके अद्भुद संगीत के सफर ने उन्हें ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में फेमस कर दिया। हालांकि उनकी पहचान सिर्फ उनकी संगीत कला तक सीमित नहीं थी। साल 1980 के दशक में वो ‘वाह ताज!’ के चाय विज्ञापन से घर-घर में पहचाने जाने लगे थे। इन विज्ञापनों में उनकी लंबे बालों और तबला बजाने की शैली ने उन्हें एक अलग पहचान दी थी। लेकिन क्या आपको पता है कि जाकिर कभी बाल क्यों नहीं कटवाते, अगर नहीं तो चलिए आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं।
पॉपुलेरिटी की चुकानी पड़ी कीमत
जाकिर हुसैन के संगीत और तबला बजाने की कला के जितने चर्चे होते थे उतने ही उनके बालों के भी चर्चे होते थे। जिन विज्ञापनों ने उन्हें लोकप्रियता दी, उनमें उनके लंबे बालों के साथ तबला बजाना और चाय की एक चुस्की के बाद, ‘वाह ताज!’ कहना दर्शकों के दिलों में घर कर गया। हालांकि, इस पॉपुलेरियटी की उन्हें कीमत भी चुकानी पड़ी, क्योंकि इन विज्ञापनों को करने के लिए उनके सामने एक बड़ी शर्त भी रख दी जाती थी।
First time I saw #ZakirHussain on TV was in this iconic ‘Wah Taj’ ad in the 90s. Especially during the cricket matches on DD National.
Such a legendary icon we have lost today #Zakir_Hussain
Who else remembers this ad ‘Wah Taj’? pic.twitter.com/SpR3pl3xfv
— Make India Proud 🇮🇳 (@ankushmahajann) December 15, 2024
बाल कटवाने की परमिशन नहीं
क्या आप जानते हैं कि जाकिर हुसैन को अपने लंबे बाल काटने की अनुमति नहीं थी? ये शर्त थी उनके चाय ब्रांड ‘ताज महल’ के साथ किए गए कॉन्ट्रेक्ट में। हुसैन खुद मजाक करते हुए कहते थे, ‘मैं अपनी संगीत कला को 30 सेकंड में नहीं दिखा सकता था, लेकिन मैं अपने बाल जरूर हिला सकता था! और मैं आज भी उनके ब्रांड का गुडविल एंबेसेडर हूं, मुझे बाल काटने की इजाजत नहीं है, चाहे वो गिरते ही क्यों न जाएं।’
बाल ना कटवाने की एक और वजह
लेकिन इस शर्त के पीछे एक और दिलचस्प कारण था, जो हुसैन ने एक बार साझा किया था। दरअसल उनका बाल ना कटवाने का फैसला एक वित्तीय कारण से भी जुड़ा था। उन्होंने कहा, ‘जब मैं पहली बार अमेरिका गया था, तब मेरे पास कम पैसे थे और मैं हर हफ्ते सिर्फ 25 डॉलर ही कमा पाता था। तब मैंने देखा कि कई लोग लंबे बाल रखते हैं और मैंने भी अपनी बालों को बढ़ाना शुरू कर दिया।’ इसके अलावा वो रॉक और रोल बैंड ‘शांति’ के साथ भी परफॉर्म करते थे, जिससे उन्हें और भी प्रेरणा मिली थी।
अमेरिका में इलाज के दौरान फेफड़ों की बीमारी से जूझते हुए भारतीय समायानुसार सोमवार सुबह उनका निधन हो गया। उनका परिवार और संगीत जगत इस बड़ी क्षति को सहन नहीं कर पा रहा है। संगीत की दुनिया में उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी।
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