Real Truth Behind Brahmarakshas: हॉरर-कॉमेडी फिल्म ‘मुंज्या’ ने इस साल सिनेमघरों में रिलीज के साथ ही धमाल मचा दिया है। फिल्म ने कुछ ही दिन में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मामले में 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया था, जिसके बाद फैंस को लंबे समय से फिल्म के ओटीटी पर रिलीज होने का इंतजार था। अब फैंस का इंतजार खत्म हुआ और 25 अगस्त को फिल्म ने ओटीटी प्लेटफॉर्म डिजनी-हॉटस्टार पर दस्तक दे दी।
ओटीटी पर भी फिल्म अच्छा परफॉर्म कर रही है और फैंस की फिल्म को देखने की जिज्ञासा बढ़ती ही जा रही है, जिसकी सबसे बड़ी वजह है फिल्म में दिखाई गई ब्रह्मराक्षस की कहानी जिसका नाम ‘मुंज्या’ है। ब्रह्मराक्षस ‘मुंज्या’ जब जिंदा था तो मुन्नी नाम की लड़की से एक तरफा प्यार करता था जिसकी मुन्नी से शादी करने की इच्छा कभी पूरी नहीं हो पाई और उसकी बेवक्त मौत हो गई। लेकिन अब सवाल ये है कि क्या सच में ब्रह्मराक्षस होते हैं और अगर अगर हां तो ये कौन होते हैं? इनका मकसद क्या होता है? क्या हमारे आस-पास भी कोई ब्रह्मराक्षस घूम रहा है? चलिए आपको इस सभी सवालों का जवाब देते हैं।
क्या होते हैं ब्रह्मराक्षस?
भारतीय पौराणिक कथाओं और लोककथाओं के मुताबिक, ब्रह्मराक्षस एक तरह का राक्षस होता है जो मृत्यु होने के बाद मौत के दौरान हुई पीड़ा या फिर शाप के कारण राक्षस का रूप धारण करता है। ये ज्यादातर उन लोगों के साथ होता है जो धार्मिक अनुष्ठानों को ठीक से नहीं निभाते, पाप करते हैं या जिनके कर्म बुरे होते हैं। साथ ही वो लोग भी मौत के बाद ब्रह्मराक्षस बन सकते हैं जिनकी जिंदगी की बड़ी इच्छा पूरी नहीं हो पाती। सभी कथाओं में ब्रह्मराक्षस को घातक और दुष्ट माना जाता है जो लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं।
ब्रह्मराक्षस सच में होते हैं?
भारत में अंधविश्वास और पौराणिक कथाओं की एक लंबी परंपरा रही है, जिनमें से ब्रह्मराक्षस की अवधारणा भी अहम जगह रखती है। ये एक प्रकार का राक्षस होता है जिसे विशेष रूप से धार्मिक और ऐतिहासिक संदर्भों में देखा जाता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ब्रह्मराक्षस सच में होते हैं या ये केवल मिथक और अंधविश्वास का हिस्सा है? हिंदू धर्मग्रंथों और पुरानी कथाओं में ब्रह्मराक्षस की कई कहानियां हैं। उदाहरण के लिए, महाभारत और पुराणों में ऐसे वर्णन मिलते हैं जहां ब्रह्मराक्षसों को शापित आत्माओं के रूप में चित्रित किया गया है। ये कथाएं बताती हैं कि सच में ब्रह्मराक्षस को पाया जाता है और इसमें कुछ भी संदेहजनक नहीं है।
ब्रह्मराक्षस पर साइंस का नजरिया
वर्तमान समय में ब्रह्मराक्षस को लेकर वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ब्रह्मराक्षस का अस्तित्व नकारा जाता है क्योंकि इसके पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। ये केवल लोककथाओं, अंधविश्वास और धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है। वहीं अगर मानसिक और सांस्कृतिक पहलू की बात करें तो ज्यादातर लोग ब्रह्मराक्षस को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, सामाजिक डर और सांस्कृतिक मान्यताओं से जोड़ते हैं। जब लोग असमर्थता, तनाव या असुरक्षा का सामना करते हैं तो वे कभी-कभी अंधविश्वास और लोककथाओं का सहारा लेते हैं। इस तरह ब्रह्मराक्षस की अवधारणा को सांस्कृतिक और मानसिक स्वास्थ्य संदर्भ में देखा जा सकता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर ब्रह्मराक्षस को वास्तविकता के बजाय मिथक, अंधविश्वास और सांस्कृतिक परंपराओं के रूप में देखा जा सकता है। आधुनिक विज्ञान और तर्कसंगत सोच के मुताबिक, ब्रह्मराक्षस का अस्तित्व साबित नहीं हुआ है। ये धारणा और कथाएं धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भ में अहम हैं, लेकिन इन्हें वैज्ञानिक प्रमाण के बिना वास्तविकता के रूप में नहीं माना जा सकता।
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