बॉलीवुड के म्यूजिक माएस्ट्रो एआर रहमान अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। इस बार मुद्दा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और संगीत का। जहां एक ओर पूरी दुनिया में AI की धूम मची हुई है, वहीं रहमान ने इस तकनीक के इस्तेमाल को लेकर एक सटीक और पर्सनल नजरिया बताया है। उन्होंने दो टूक कहा है कि इंसानी क्रिएटिविटी को मशीन से बदलना एक नासमझी और पागलपन वाली बात है।
‘संगीत सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं एक आत्मा है’
बॉलीवुड बबल के साथ एक इंटरव्यू के दौरान रहमान ने साफ किया कि संगीत कोई प्रोडक्ट नहीं है जिसे मशीनें बना लें। इसमें भावना, अनुभव और जुड़ाव होता है जो सिर्फ इंसान ही ला सकता है। उन्होंने AI को एक अच्छा हेल्पर माना है लेकिन ये भी कहा कि संगीत के निर्माण में पूरी तरह से इंसानों को हटाकर सिर्फ तकनीक पर निर्भर रहना एक बड़ी भूल होगी।
निर्देशकों के पास नहीं होता AI चलाने का वक्त
रहमान ने उदाहरण देते हुए बताया कि एक फिल्म निर्देशक के पास बहुत सारे काम होते हैं। ऐसे में वो खुद AI टूल्स से म्यूजिक तैयार नहीं कर सकता। इसी वजह से एक संगीतकार की भूमिका जरूरी होती है, जो पूरी लगन से धुनों को गढ़ता है और उसे सजीव बनाता है। रहमान ने संगीत को मां की ममता से तुलना करते हुए कहा कि जैसे मां अपने बच्चे को संभालती है, वैसे ही एक संगीतकार अपने म्यूजिक को प्यार से सजाता है।
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‘कलाकारों की जगह मशीन नहीं ले सकती’
रहमान ने साफ कहा कि वो कभी भी एक टैलेंटेड सितारवादक जैसे अनुष्का शंकर या असद खान को किसी AI सॉफ्टवेयर से नहीं बदल सकते। उन्होंने इसे ‘बेहद मूर्खतापूर्ण’ करार दिया और कहा कि असली कलाकार की जगह कोई मशीन नहीं ले सकती। उनका मानना है कि मशीन से बना संगीत एक ‘फ्रेंकनस्टाइन’ जैसा होता है- बिना आत्मा और भावना के।
‘AI का सही इस्तेमाल भी हो सकता है’
हालांकि, रहमान AI के पूरी तरह खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने माना कि ये तकनीक उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है जिनके पास संसाधनों की कमी है। ऐसे लोग छोटी जगहों से भी फिल्म या डॉक्यूमेंट्री बना सकते हैं। उन्होंने बच्चों को AI के जरिए अपनी कहानियों को बताने की सलाह भी दी, जिससे उनकी रचनात्मकता को नई उड़ान मिल सके।
‘AI का प्रयोग सोच-समझकर हो’
इंटरव्यू में एआर रहमान ने ये भी कहा कि AI का इस्तेमाल दो तरह से हो सकता है- एक जो सकारात्मक और रचनात्मक हो और दूसरा जो घटिया और फूहड़ कंटेंट पैदा करे। उन्होंने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें ये समझना होगा कि AI का उपयोग कैसे और क्यों किया जा रहा है।
कुल मिलाकर रहमान का साफ तौर पर कहना है कि तकनीक का इस्तेमाल करें लेकिन इंसानी टैलेंट और क्रिएटिविटी की कद्र करना न भूलें। संगीत एक आत्मा है, और उसे सिर्फ एक दिल रखने वाला इंसान ही महसूस कर सकता है।
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