मुरादाबाद का नाम आपने जरूर सुना होगा. और साथ में यह भी सुना होगा कि मुरादाबाद अपने पीतल के बर्तनों के लिए कितना मशहूर है. लेकिन आपको बता दें कि मुरादाबाद एक और चीज के लिए पूरी दुनिया में नाम कमा रहा है. वह है ‘शोर’. जी हां, मुरादाबाद दुनिया के सबसे ज्यादा शोरगुल वाले शहरों में टॉप 3 में आता है.
यहां इतना शोर है कि आपको हर पल प्लेन टेकऑफ होने का एहसास होगा.
हालांकि सबसे ज्यादा शोर करने वाले शहरों में दिल्ली, कोलकाता, आसनसोल और जयपुर का नाम भी शुमार है. लेकिन मुरादाबाद ने तो इस मामले में कीर्तिमान स्थापित कर दिया है.
ये रिपोर्ट दरअसल, यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम ने जारी की है और ये रिपोर्ट हर साल जारी की जाती है. रिपोर्ट में कहा या है कि साउथ एशियन रीजन जिसमें इंडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल शामिल हैं, दुनिया का सबसे शोर वाला रीजन है. वहीं लैटिन अमेरिका और यूरोप सबसे शांत रीजन हैं.
इस लिस्ट में बांग्लादेश की कैपिटल ढाका टॉप पर है. उसके बाद उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद और पाकिस्तान की कैपिटल इस्लामाबाद हैं. ढाका में नॉइज पॉल्यूशन 119 dB है. जबकि मुरादाबाद में 114 dB और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद 105 dB के साथ तीसरे स्थान पर है.
मुरादाबाद में इतना शोर क्यों?
मुरादाबाद को पीतल इंडस्ट्री का गढ़ कहा जाता है. ये ‘ब्रास सिटी’ के नाम से भी मशहूर है. यहां हजारों बड़ी और छोटी पीतल की फैक्ट्रियां हैं और वर्कशॉप हैं. मेटल पिघलाने, हथौड़े से पीटने, काटने, पीसने, पॉलिश करने और जनरेटर और ब्लोअर चलाने जैसे कामों से रेगुलर 80-120 dB के बीच शोर होता है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि ज्यादातर फैक्ट्रियां रिहायशी इलाकों में हैं. इसलिए होने वाला शोर, यहां रहने वालों पर सीधा असर डालता है. ट्रकों, सप्लाई वैन और लोडिंग-अनलोडिंग गाड़ियों की भारी आवाजाही से भी अफरा-तफरी मची रहती है. एक्सपोर्ट डिमांड की वजह से कई यूनिट दिन-रात चलती हैं, जिसका मतलब है कि शोर कभी खत्म नहीं होता.
सेहत पर भी होता है असर
एक आम इंसान के लिए 70dB से ज्यादा शोर या तेज आवाज खतरनाक साबित हो सकती है. एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स की मानें तो इससे हीयरिंग लॉस भी हो सकती है. इससे नींद नहीं आने की समस्या हो सकती है और यहां तक कि ये एंजाइटी का कारण भी बन सकता है.










