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UP सरकार के लिए GST धोखाधड़ी बनी एक नई चुनौती; नोएडा में ही 3 साल में डबल हुए केस

GST fraud: पिछले तीन वर्षों में नोएडा में जीएसटी धोखाधड़ी दोगुनी हो गई है। जीएसटी चोरी के 291 मामलों में अनियमितता पाई गई है, जिसके लिए 75.82 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूल किया गया है। उत्तर प्रदेश कर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में कर चोरी के 66 मामलों में 18.04 करोड़ […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Apr 24, 2023 16:04
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GST fraud: पिछले तीन वर्षों में नोएडा में जीएसटी धोखाधड़ी दोगुनी हो गई है। जीएसटी चोरी के 291 मामलों में अनियमितता पाई गई है, जिसके लिए 75.82 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूल किया गया है। उत्तर प्रदेश कर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में कर चोरी के 66 मामलों में 18.04 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया।

2021-22 में 91 मामलों में 11.56 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी पकड़ी गई, जबकि 2022-23 में टैक्स चोरी के 134 मामले सामने आए, जिसमें 45.72 रुपये जुर्माना वसूला गया।

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राज्य जीएसटी के एक अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि नकली टैक्स चालान नकली नोट की तरह है जो समाज के लिए खतरनाक है। नकली टैक्स चालान के साथ, कोई व्यक्ति अपनी वास्तविक देनदारी को कम कर सकता है। अधिकारी ने कहा कि टैक्स इनवॉइस करेंसी नोट की तरह है, अगर यह नकली है तो यह परेशानी पैदा करेगा और सरकार के राजस्व संग्रह को झटका लगेगा।

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उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकतर अनियमितताएं उन क्षेत्रों में देखी जाती हैं जो संगठित और अनौपचारिक हैं, क्योंकि उनके पास बड़ी कंपनियों की तरह उचित व्यवस्था नहीं है। बड़ी कंपनियों के पास उचित लेखा प्रणाली और प्रबंधन के साथ-साथ अन्य प्रणालियां होती हैं जो इस प्रकार की धोखाधड़ी को रोकती हैं।

लेकिन अधिकांश असंगठित क्षेत्रों या कंपनियों में, इन अनियमितताओं को बहुत आसानी से किया जा सकता है क्योंकि कोई उचित सिस्टम नहीं है। और इसलिए बड़ी स्क्रैप कंपनियों, स्टील और आयरन कंपनियों, पान मसाला कंपनियों, बड़े माल के थोक विक्रेताओं आदि में फ्रॉड देखा जाता है।

लेकिन अब जो स्मार्ट टूल और ऐप आए हैं, वे इन अनियमितताओं का पता लगा सकते हैं। इसके अलावा, जीएसटी विभाग के फील्ड अधिकारी भी इस तरह की प्रथाओं पर कड़ी नजर रख रहे हैं।

कभी-कभी बड़े नेटवर्क में जानकारी को मैन्युअल रूप से डिकोड करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन अगर कोई इसे सॉफ्टवेयर या ऐप के जरिए डिकोड करता है, तो इसे आसानी से क्रैक किया जा सकता है।

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आम आदमी इस बात का रखे ध्यान

कंपनियां जब सामान बेचती हैं तो जीएसटी से बचती हैं लेकिन बिल नहीं देती हैं। आम आदमी भी बिल के लिए जोर देकर इस तरह के अनाचार को रोकने में मददगार साबित हो सकता है। जब कोई बिल नहीं लेता है, तो विक्रेता यह दिखा सकता है कि उत्पाद अभी भी स्टॉक में है, हालांकि इसे बेच दिया गया है और आसानी से उसी मूल्य का टैक्स चालान बना सकता है और इसे किसी को भी दे सकता है।

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Edited By

Nitin Arora

First published on: Apr 24, 2023 01:02 PM

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