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ज्योतिष

Astrology: क्या होती है लग्न कुंडली, जानिए देखने का सरल तरीका?

Astrology: वैदिक ज्योतिष में लग्न कुंडली को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। लग्न कुंडली किसी भी व्यक्ति के जीवन का दर्पण होती है। इसको देखकर ही ज्योतिषाचार्य व्यक्ति का भविष्य बताते हैं।

Author Edited By : Mohit Updated: Mar 1, 2025 12:00
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कैसे पढ़ें कुंडली?

Astrology: लग्न कुंडली व्यक्ति के जीवन का चार्ट होता है। इसको देखकर इस बात का पता आराम से लगाया जा सकता है कि व्यक्ति का भविष्य कैसा रहने वाला है। ज्योतिषाचार्य इसी चार्ट से व्यक्ति के भूतकाल का भी पता लगा लेते हैं। यह चार्ट भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारी देता है।

जीवन के हर पहलु को इस चार्ट के माध्यम से जाना जा सकता है। इसको नेटल चार्ट, जन्म कुंडली, लग्न पत्रिका, राशि चार्ट आदि नाम से जाना जाता है। ज्योतिष में किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज में उदय होने वाली राशि उसकी लग्न राशि बनती है।

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12 भावों की होती है लग्न कुंडली

लग्न कुंडली में 12 भाव होते हैं। इन सभी भावों में कोई न कोई राशि होती है। इसमें पहले भाव को लग्न भाव बोलते हैं और लग्न भाव में वो राशि होती है, जो आपके जन्म के समय पूर्व दिशा में उदय हो रही होती है। इसी राशि के आधार पर पूरी कुंडली का निर्माण किया जाता है। लग्न कुंडली 12 राशियों और 9 ग्रहों से मिलकर बनती है।

उदाहरण के लिए अगर आपके लग्न मतलब पहले भाव में मेष राशि है तो दूसरे में वृषभ और तीसरे में मिथुन और इस प्रकार से 12वें भाव में मीन राशि होगी। इसी प्रकार से अन्य राशियों के साथ होता है। अब किसी के पहले भाव में कर्क राशि है तो यह राशि चक्र की चौथी राशि है। इस कारण दूसरे भाव में सिंह होगी, तीसरे में कन्या और इसी प्रकार से चार्ट बन जाएगा।

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हर राशि का होता है नंबर

आप अपने लग्न चार्ट में नंबर देखते होंगे। वो राशियों के नंबर होते हैं। इसके साथ ही हर राशि का कोई न कोई स्वामी होता है। सिर्फ राहु और केतु छाया ग्रह होते हैं। इस कारण ये किसी राशि के स्वामी नहीं होते हैं। इसके बाद ये देखा जाता है कि आपके किस भाव में कौन सा ग्रह बैठा है।

संख्या (Number) राशि (Zodiac Sign) स्वामी ग्रह (Ruling Planet)
1 मेष (Aries) मंगल (Mars)
2 वृषभ (Taurus) शुक्र (Venus)
3 मिथुन (Gemini) बुध (Mercury)
4 कर्क (Cancer) चंद्रमा (Moon)
5 सिंह (Leo) सूर्य (Sun)
6 कन्या (Virgo) बुध (Mercury)
7 तुला (Libra) शुक्र (Venus)
8 वृश्चिक (Scorpio) मंगल (Mars)
9 धनु (Sagittarius) गुरु (Jupiter)
10 मकर (Capricorn) शनि (Saturn)
11 कुंभ (Aquarius) शनि (Saturn)
12 मीन (Pisces) गुरु (Jupiter)

लग्नेश क्या होता है?

लग्न चार्ट में सबसे महत्वपूर्ण लग्नेश होता है। इसका मतलब है कि आपके लग्न मतलब पहले भाव में जो भी राशि बैठी है, उसका स्वामी कहां विराजमान है। नीचे चार्ट में हमने राशियां उनके नंबर और उन राशियों के स्वामी बताए हैं। ज्योतिष के अनुसार राशिचक्र का मान 360 डिग्री का होता है। इस चक्र को 12 भावों में बांटा जाता है और इस तरह से एक राशि का मान 30 डिग्री तक होता है। बेसिकली फलित ज्योतिष में लग्न और लग्नेश की काफी भूमिका होती है। अगर लग्न और लग्नेश मजबूत है तो कुंडली मजबूत और अगर लग्न और लग्नेश कमजोर हैं तो कुंडली कमजोर होती है।

जीवन के हर पहलुओं को दर्शाते हैं 12 भाव

यहां हम आपको 1 से लेकर 12 तक की गिनती में भावों के नंबर दे रहे हैं। जिससे आप समझ सकते हैं कि कौन सा भाव कहां होता है।

आपकी कुंडली के लग्न चार्ट में इसमें कुछ भी नंबर लिखा हो सकता है। वो नंबर भाव का नहीं राशि होता है। जैसे पहले भाव में 2 नंबर लिखा है तो मतलब आपकी लग्न 2 नंबर की राशि मतलब वृषभ लग्न की होगी। इसी प्रकार 5 नंबर लिखा है तो मतलब आपकी राशि सिंह लग्न की होगी।

इसी से निकलता है राशिफल

आप अधिकतर जो राशिफल पढ़ते हैं वो आपकी लग्न राशि के लिए होते हैं। न कि आपकी चंद्र राशि के लिए होते हैं। जब व्यक्ति का जन्म होता है तो चंद्रमा जिस भी राशि में होता है वो उस व्यक्ति की चंद्र राशि होती है। वहीं, विदेशों में सूर्य राशि ज्यादा महत्व रखती है। उनके अनुसार, व्यक्ति के जन्म के समय सूर्य जिस राशि में होगा, वो उस व्यक्ति की राशि होगी, लेकिन वैदिक ज्योतिष में हम चंद्र राशि को लेकर चलते हैं। आइए जानते हैं कि कुंडली के भाव आपके किस पहलू को दर्शाते हैं।

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यहां होते हैं भाव

1. पहला भाव (लग्न भाव)

यह व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व, शारीरिक बनावट और सोचने के तरीके को दर्शाता है। इसे ‘तन भाव’ भी कहते हैं, क्योंकि यह शरीर से जुड़ी जानकारी देता है।

2. दूसरा भाव

यह धन, संपत्ति, बचत, बोलने की शैली और पारिवारिक स्थिति को दर्शाता है। इसे ‘धन भाव’ भी कहते हैं।

3. तीसरा भाव

यह साहस, परिश्रम, छोटी यात्राएं, भाई-बहनों के साथ संबंध और संचार क्षमता को दर्शाता है। इसे ‘पराक्रम भाव’ भी कहते हैं।

4. चौथा भाव

यह घर, वाहन, माता, सुख-सुविधाएं, मानसिक शांति और पूर्वजों से जुड़ा होता है। इसे ‘सुख भाव’ भी कहते हैं।

5. पांचवां भाव

यह बुद्धिमत्ता, शिक्षा, संतान, प्रेम संबंध, रचनात्मकता और मनोरंजन से जुड़ा होता है। इसे ‘विद्या भाव’ भी कहते हैं।

6. छठवां भाव

यह स्वास्थ्य, बीमारियां, ऋण, प्रतियोगिता, शत्रु और कानूनी मामलों से जुड़ा होता है। इसे ‘रोग भाव’ भी कहते हैं।

7. सातवां भाव

यह शादी, जीवनसाथी, बिजनेस पार्टनरशिप और सामाजिक संबंधों को दर्शाता है। इसे ‘दांपत्य भाव’ भी कहते हैं।

8. आठवां भाव

यह अचानक बदलाव, रहस्य, दुर्घटनाएं, मृत्यु, पुनर्जन्म और गुप्त ज्ञान से जुड़ा होता है। इसे ‘आयु भाव’ भी कहते हैं।

9. नौवां भाव

यह भाग्य, धर्म, विदेश यात्रा, उच्च शिक्षा और आध्यात्मिकता को दर्शाता है। इसे ‘धर्म भाव’ भी कहते हैं।

10. दसवां भाव

यह नौकरी, करियर, व्यवसाय, पिता और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है। इसे ‘कर्म भाव’ भी कहते हैं।

11. ग्यारहवां भाव

यह आर्थिक लाभ, दोस्ती, सामाजिक नेटवर्क और इच्छाओं की पूर्ति से जुड़ा होता है। इसे ‘लाभ भाव’ भी कहते हैं।

12. बारहवां भाव

यह विदेश यात्रा, हानि, खर्च, गुप्त शत्रु, आध्यात्मिकता और मोक्ष से जुड़ा होता है। इसे ‘व्यय भाव’ भी कहते हैं।

भावों का विवरण चार्ट

भाव नंबर भाव का नाम मुख्य अर्थ
1 पहला भाव (लग्न) व्यक्तित्व, आत्मा, शरीर, स्वभाव
2 दूसरा भाव धन, परिवार, वाणी, संचित संपत्ति
3 तीसरा भाव भाई-बहन, पराक्रम, संचार, यात्रा
4 चौथा भाव माता, सुख, वाहन, संपत्ति
5 पांचवां भाव शिक्षा, संतान, प्रेम, बुद्धि
6 छठा भाव रोग, शत्रु, ऋण, विवाद
7 सातवां भाव विवाह, साझेदारी, जीवनसाथी
8 आठवां भाव आयु, गुप्त ज्ञान, आकस्मिक घटनाएँ
9 नौवां भाव भाग्य, धर्म, यात्रा, गुरु
10 दसवां भाव कर्म, करियर, प्रतिष्ठा, कार्यक्षेत्र
11 ग्यारहवां भाव लाभ, आय, मित्र, इच्छाएं
12 बारहवां भाव व्यय, मोक्ष, विदेश यात्रा, हानि

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Mohit

First published on: Mar 01, 2025 11:48 AM

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