---विज्ञापन---

वक्रतुंड चतुर्थी ‘शिव’ योग समेत 6 दुर्लभ संयोग! पूजन से मिलेगा कई गुना अधिक फल

Vakratunda Sankashti Chaturthi 2023 वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी इस वर्ष 1 नवंबर को है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन गणपति बप्पा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शुभ कार्यों में सफलता पाने के लिए भी इस दिन व्रत रखा जाता है। चतुर्थी तिथि पर व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

Edited By : Swati Pandey | Updated: Oct 30, 2023 14:48
Share :

Vakratunda Sankashti Chaturthi 2023:  हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी इस वर्ष 1 नवंबर को है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन गणपति बप्पा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शुभ कार्यों में सफलता पाने के लिए भी इस दिन व्रत रखा जाता है। चतुर्थी तिथि पर व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की तिथि पर दुर्लभ शिव योग समेत 6 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैंइन योग में गणेश जी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

पूजन का शुभ मुहूर्त

कैलेंडर के अनुसार 1 नवंबर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और 1 नवंबर को 09 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी।

---विज्ञापन---

शिव योग बन रहा 

ज्योतिषाचार्य के अनुसार  वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से शुरू हो जाएगा। और दिनभर रहेगा। इस योग में गणपति बप्पा की विधि-विधान से पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

यह भी पढ़े: करवा चौथ व्रत में क्यों जरूरी होता है मिट्टी का करवा? जानें इसका खास महत्व

---विज्ञापन---

सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा

इस बार वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। यह सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से लेकर अगले दिन 02 नवंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट तक है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी। सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वप्रथम बव करण का निर्माण हो रहा है। वणिज करण सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक है। इसके बाद बालव करण का निर्माण हो रहा है, जो रात 09 बजकर 30 मिनट तक है। वहीं, रात्रि में 09 बजकर 30 मिनट के बाद कौलव करण का निर्माण हो रहा है। शास्त्रों में इन करणों को शुभ माना जाता है। इन योग में आप शुभ कार्य कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

HISTORY

Edited By

Swati Pandey

First published on: Oct 30, 2023 02:48 PM
संबंधित खबरें