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हिंदू धर्म में क्यों नहीं होती है एक ही गोत्र में शादी? जानें ज्योतिष कारण

Same Gotra Marriage: हिंदू धर्म में एक गोत्र में शादी करने की मनाही होती है, लेकिन क्या आपको पता है आखिर ऐसा क्यों होता है। अगर नहीं तो आइए आज इस खबर में जानते हैं आखिर क्यों एक ही गोत्र में शादी नहीं होती है।

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Dec 10, 2023 13:52
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Same Gotra
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Same Gotra Marriage: हिंदू धर्म में विवाह में कुंडली मिलान की प्रथा है। कुंडली मिलान वैवाहिक जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी होता है। कुंडली मिलान करते समय गोत्र का ध्यान रखा जाता है। कभी-कभी एक गोत्र होने के कारण विवाह नहीं होता है। ऐसे तो गोत्र सभी जाति के लोगों का देखा जाता है, लेकिन ब्राह्मण परिवार में गोत्र के साथ प्रवर का सबसे अधिक महत्व होता है। पुराणों और ग्रंथों के अनुसार, यदि कोई कन्या सगोत्र हो किंतु प्रवर (प्रवर का संबंध आध्यात्मिकता से होता है।) न हो तो इस स्थिति में कन्या के विवाह की अनुमति नहीं जाती है।

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जानें क्या है गोत्र

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विश्वामित्र, जनदग्नि, गौतम, भारद्वाज, अत्रि, वशिष्ठ और कश्यप ये सप्तऋषी और आठवें अगस्ति ऋषि को संतान गोत्र कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक का गोत्र भारद्वाज है, तो उनके पूर्वज ऋषि भारद्वाज के वंशज हैं। इसी से आगे चलकर गोत्र का संबंध होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाह करते समय इसी गोत्र का उपयोग किया जाता है। पृथ्वी पर ऋषि मुनियों की संख्या अधिक होने के कारण गोत्रों की सख्या भी अधिक है। लेकिन मुख्य रूप से 8 ऋषियों के नाम प्रचलित हैं, जिसके कारण 8 गोत्र ही माने जाते हैं। इसके बाद ही कोई अन्य गोत्र बनाए गए हैं। धार्मिक ग्रंथ महाभारत के शांतिपर्व में मूल रूप से 4 गोत्र बताएं गए हैं, जो कुछ इस प्रकार है- अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भृगु गोत्र है।

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जानें क्या होता है प्रवर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह के समय गोत्र के साथ प्रवर का भी खास ख्याल रखना चाहिए। प्रवर भी एक प्राचीन ऋषियों के नाम पर है। हालांकि गोत्र और प्रवर में थोड़ा अंतर हैं। गोत्र का संबंध रक्त से होता है वहीं प्रवर का संबंध आध्यात्मिकता से जुड़ा होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रवर की गणना गोत्रों के अंतर्गत की जाती है, जिससे जाति में संगोत्र बहिर्विवाह (अपने गोत्र से छोड़कर अगल विवाह) की धारण प्रवरों के लिए लागू होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्राह्मणों में गोत्र प्रवर का बहुत ही बड़ा महत्व होता है। गौतम धर्म सूत्र में भी अलग-अलग प्रवर में विवाह करने का निर्देश दिया गया है। इसलिए कभी भी एक समान प्रवर या गोत्र में वर को वधु नहीं देना चाहिए।

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डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Edited By

Raghvendra Tiwari

First published on: Dec 10, 2023 01:21 PM

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