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Rinmochan Mangal Stotra: मौजूदा समय में कर्ज की समस्या बढ़ती जा रही है। हालांकि इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं। कुछ लोग आमदनी से अधिक खर्च कर बैठते हैं, जबकि कई लोग बिजनेस को लेकर बैंक या किसी जानने वाले से कर्ज ले लेते हैं। और जब बिजनेस में आर्थिक प्रगति नहीं होती है तो कर्ज के बोझ तले जब जाते हैं। इसके अलावा कई लोग अच्छी जीवनशैली के लिए अधिक धन-खर्च करते हैं जिसकी वजह से कर्ज की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे स्तोत्र के बारे में बता रहे हैं, जिसका नियमित पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है। आइए जानते हैं ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के बारे में।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।
।। इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।
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