Dev Uthani Ekadashi 2022: इस वर्ष 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी (अथवा देवोत्थान ग्यारस) मनाया जाएगा। इस दिन को विशेष रूप में भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) को भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी के निमित्त पूजा पाठ किया जाए तो उनका अनंत फल मिलता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु सो जाते हैं, जिसके बाद समस्त शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) को भगवान विष्णु के पुनः जागने के साथ ही एक बार फिर से समस्त शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। आप भी इस दिन कुछ आसान से उपाय करके अपने भाग्य को जगा सकते हैं और जो कुछ भी संकट आपके जीवन में आ रहे हैं, उनसे मुक्ति पा सकते हैं। जानिए ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में…यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2022: शुक्रवार को जागेंगे भगवान विष्णु, शुरू होंगे धार्मिक कार्य… करें ये काम, जाग जाएगा सोया भाग्य
Dev Uthani Ekadashi के उपाय
- इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र पहन कर भगवान विष्णु के मंदिर में जाएं तथा उन्हें पीले पुष्पों की माला अर्पित करें, पीले रंग का ही प्रसाद चढ़ाएं तथा वहीं पर बैठ कर भगवान श्रीहरि के महामंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें। अंत में गरीबों को अपनी श्रद्धानुसार मिठाई, वस्त्र आदि दान कर भगवान से अपनी इच्छा पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
- देवउठनी एकादशी के दिन सुबह पानी की बाल्टी में दो बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए और इसके बाद गायत्री मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य अच्छा होता है और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- देवउठनी एकादशी के दिन सुबह पीपल अथवा बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाएं तथा शाम को घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से व्यक्ति का कर्ज दूर होता है और घर में पैसा आने लगता है। यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी आज, जानें व्रत के नियम और क्या करें-क्या नहीं ?
Dev Uthani Ekadashi व्रत के नियम
- देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त पर बिस्तर त्याग दें। पानी में गंगाजल और एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें। उसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष हाथ जोड़ें और
व्रत का संकल्प लें। एकादशी के दिन नमक नहीं करना चाहिए। व्रत निर्जला रहें रहकर या फिर फलाहार। - शाम होते ही गाजे बाजे के साथ भगवान को निंद्रा से जगाएं। उसके बाद पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करें। घर के आंगन में चूना व गेरू से रंगोली बनाकर गन्ने से मंडप बनाएं और भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप और तुलसी माता का पूजन करें। यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी पर पढ़ें यह व्रत कथा, प्रसन्न होंगे भगवान विष्णु
- यदि आप व्रत कर रहे हैं, तो जब भी मौका मिले मन ही मन ॐ गुरुवे नमः का जाप करें। किसी बुरा न करें। कोई ऐसा कान करें, जिससे किसी को दुःख पहुंचे। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- एकादशी की रात में जागरण और भजन कीर्तन करने से भगवान की असीम कृपा मिलती है। मंत्रों का जाप करें। अगले दिन स्नान आदि के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा ज़रूर दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।