Bihar Bodhgaya Pilgrimage Travel Stay Advisory: श्राद्ध चल रहे हैं। इन दिनों में बहुत से लोग पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए बिहार के बोधगया तीर्थ स्थल पर जाते हैं। यह एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां एक बार पूर्वजों का पिंडदान कर दो तो दोबारा श्राद्ध करने की जरूरत नहीं पड़ती। वहीं किसी तीर्थ स्थल के ट्रिप पर जाने से पहले पूरी तैयारी और पूरी जानकारी अनिवार्य होती है, ताकि वहां जाकर किसी परेशानी में न पड़ जाएं। कई बार सही जानकारी न होने के कारण लोग ठगों के चक्कर में भी फंस जाते हैं। इसलिए हम आपको बताते हैं कि अगर गया गए हैं तो कहां रुकें, क्या किराया होगा, पिंडदान कहां कर सकते हैं और क्या सावधानियां बरतें।
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गया जी तीर्थ स्थल तक कैसे पहुंचे?
बिहार के गया जी तक पहुंचने के 3 रास्ते हैं। तीर्थ स्थल एयरपोर्ट से 14 किलोमीटर दूर है। यहां नजदीकी एयरपोर्ट कोलकाता है, जो 485 किलोमीटर दूर है। गया रेलवे स्टेशन से तीर्थ स्थल 15 किलोमीटर दूर है। वहीं सड़क के रास्ते भी गया तक पहुंचा जा सकता है। देश के कई राज्यों से गया के लिए बस सेवा है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम भी टूरिस्टों को बस सर्विस उपलब्ध कराता है। निगम की 2 डीलक्स बसें गया तक जाने के लिए चलती हैं। इसके अलावा लोग अपने वाहन से भी तीर्थ स्थल तक पहुंच सकते हैं।
कहां रुकें, कैसे मिलेगी जानकारी?
गया पहुंचने के बाद सबसे पहले यह देखें कि रुकना कहां है? इसके लिए रेलवे स्टेशन के बाहर ‘मे आई हेल्प यू’ काउंटर मिलेगा। जिला सूचना विभाग का काउंटर भी बना है, जहां रह सवाल का जवाब मिल जाएगा। यहां एक बुकलेट मिलेगी, जिसमें होटलों, लॉज, रेस्टोरेंट, हेल्थ, पुलिस, कंट्रोल रूम नंबर मिलेंगे। अगर जिला सूचना विभाग से संपर्क नहीं कर पाते तो ऑटो में 20 रुपये किराया देकर विष्णुपद मंदिर चले जाएं, जहां संवास सदन समिति है। यहां आपको अपनी हर समस्या का समाधान मिल जाएगा।
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कितना किराया, ज्यादा दिन रुकना हो तो कहां रुके?
गया जाकर होटल में रुकेंगे तो अच्छे से अच्छे और नॉर्मल दोनों तरह के होटल हैं। 2 हजार से 4500 रुपये किराये में लग्जरी होटल मिल जाएंगे। विष्णुपद के आस-पास कई होटल हैं। होटल न मिले तो जिस प्रशासन की ओर से टेंट भी उपलब्ध कराए जाते हैं। स्कूलों में भी ठहरने की व्यवस्था है, जो फ्री मिलती है। अगर 10 से ज्यादा दिन के लिए रुकना है तो संवाद सदन समिति कमरों का इंतजाम कराएगी। राशन, चूल्हा, गैस सब दिलवाएगी। आपको सिर्फ शुल्क देना होगा। पंडा भी आपके रुकने का इंतजाम करा सकते हैं।
गया में आने-जाने की व्यवस्था क्या और कैसी है?
गया में रेलवे स्टेशन से निकलते ही ऑटो टैक्सी स्टैंड है। विष्णुपद मंदिर के पास भी ऑटो-टैक्सी स्टैंड है। दोनों जगहों पर साइन बोर्ड लगे हैं, जिन पर जगह का नाम और वहां तक आने-जाने का किराया लिखा है। प्री-पेड ऑटो-टैक्सी दोनों की व्यवस्था है। रिंग बस सेवा भी है। कुछ लोग फ्री में ई-रिक्शा उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा अगर रास्ता पता हो तो अपने वाहन से भी आना-जाना कर सकते हैं। चाहें तो रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड पर सरकार विभाग अधिकारियों से भी संपर्क कर सकते हैं।
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गया पहुंचते ही पंडा से संपर्क कैसे करें?
पिंडदान के लिए गया पहुंचे हैं तो उतरते ही पंडा संपर्क करने लगेंगे, लेकिन आपको अलर्ट रहना होगा। ठगों का शिकार हो सकते हैं। इसलिए पंडा संपर्क करे तो उससे प्रशासन द्वारा जारी किया गया ID कार्ड जरूर मांगें। अगर वह ID कार्ड दिखाए तो ही उससे आगे बात करें। यही वह ID कार्ड न दिखा पाए तो उससे दूर ही रहें। समस्या होने पर पुलिस काउंटर भी जगह-जगह मिलेंगे, जहां से मदद ली जा सकती है। वहीं गया की जमीन पर उतरते ही बुकलेट जरूरत अपने हाथ में ले लें।
गया में पिंडदान कहां करें, कितना खर्च होगा?
गया में करीब 40 जगहों पर पिंडदान कर सकते हैं। वहीं पर सामग्री और पंडित मिल जाएंगे। गया में फल्गु नदी के तट पर श्राद्ध किए जाते हैं। खर्च की बात करें तो वह पिंडदान एक दिन में होगा, 3 दिन में हो गया 17 दिन में होगा, इस पर निर्भर करेगा। एक दिन में श्राद्ध करने पर 5 से 10 हजार का खर्च आएगा। 500 रुपये से एक लाख रुपये तक का खर्च पिंडदान पर आ सकता है, लेकिन पंडा से संपर्क करने से पहले अलर्ट रहें। रजिस्टर्ड पंडा से पिंडदान कराएं, नहीं तो ठगी का शिकार भी हो सकते हैं।