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Sankashti Chaturthi 2023: कब है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

Sankashti Chaturthi 2023: सनातन धर्म में गणपति बप्पा को सर्वप्रथम पूजनीय देवता माना गया है। भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कार्य शुभ होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माह […]

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Oct 2, 2023 08:01
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Sankashti Chaturthi 2023
Sankashti Chaturthi 2023

Sankashti Chaturthi 2023: सनातन धर्म में गणपति बप्पा को सर्वप्रथम पूजनीय देवता माना गया है। भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कार्य शुभ होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माह के पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन विधि-विधान से गणपति की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा-पाठ करने से जीवन में आ रही सारी बाधाएं दूर हो जाती है। आज इस खबर में जानेंगे कि आश्विन माह के संकष्टि चतुर्थी कब हैं। इसके साथ ही शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानेंगे। तो आइए जानते हैं।

संकष्टी चतुर्थी शुभ तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 2 अक्टूबर यानी कल दिन सोमवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 02 अक्टूबर 2023 प्रात काल 5 बजकर 6 मिनट तक रहेगा और इसका समापन 3 अक्टूबर दिन मंगलवार को सुबह 3 बजकर 41 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

ज्योतिष शास्त्र में संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करने के लिए निम्न विधि बताया गया है। जो इस प्रकार है-

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शास्त्र के अनुसार, इस दिन प्रातकाल उठकर स्नान कर निवृत्त होना चाहिए।

इसके बाद भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-पाठ करनी चाहिए।

शास्त्र के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का अभिषेक करना चाहिए।

इसके बाद उन्हें नए वस्त्र, जनेऊ, चंदन, लाल रंग के फूल और माला अर्पित करना चाहिए।

बप्पा को मोदक का भोग लगाकर सभी भक्तों में प्रसाद का वितरण करना चाहिए।

पूजा करते समय ओम गं गणपतये नमो नमः मंत्र का जाप भी करना चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रात्रि को पूजा करते समय चंद्र देव की भी पूजा करें।

अंत में चंद्र देव को दूध या जल में अक्षत और सफेद फूल डालकर अर्घ्य दें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Edited By

Raghvendra Tiwari

First published on: Oct 02, 2023 07:15 AM

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