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हनुमानजी के इन 7 स्वरूपों की पूजा करने से मिलता है मनचाहा वर, भय-चिंता और संकटों से मिलती है मुक्ति

Dharma Karma: कलियुग में हनुमानजी को साक्षात जागृत देव माना गया है। उनकी अनेक स्वरूपों में तथा अलग-अलग विधियों से पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार बजरंग बली का प्रत्येक स्वरूप एक विशेष उद्देश्य के लिए निर्धारित किया गया है। यदि आप अपनी मनोकामना और उद्देश्य के अनुसार उनके सही स्वरूप की आराधना करेंगे […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: May 30, 2023 14:01
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Dharma Karma: कलियुग में हनुमानजी को साक्षात जागृत देव माना गया है। उनकी अनेक स्वरूपों में तथा अलग-अलग विधियों से पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार बजरंग बली का प्रत्येक स्वरूप एक विशेष उद्देश्य के लिए निर्धारित किया गया है। यदि आप अपनी मनोकामना और उद्देश्य के अनुसार उनके सही स्वरूप की आराधना करेंगे तो निश्चित तौर पर आपकी इच्छाएं पूर्ण होंगी।

शास्त्रों में बताए गए हैं हनुमानजी के ये स्वरूप (Dharma Karma)

भक्त हनुमान

यह बजरंग बली का सबसे सौम्य रुप है। इस स्वरूप में वे अपने आराध्य भगवान राम का नाम जप कर रहे हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, भक्ति तथा वैराग्य का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही भगवान श्रीराम भी ऐसे साधकों पर अपनी विशेष कृपा करते हैं।

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वीर हनुमान

यह उनका रौद्र रूप है, अपने इस स्वरूप में मारुतिनंदन दुष्टों का संहार तथा भक्तों की रक्षा करते हैं। उनके इस स्वरूप की आराधना से भक्त को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। ऐसे भक्त अपने शत्रुओं को आसानी से परास्त कर देते हैं।

पंचमुखी हनुमान

इस स्वरूप को हनुमानजी का सर्वाधिक रौद्र तथा भयंकर रूप माना गया है। इस स्वरूप की आराधना तभी करनी चाहिए जब कोई बहुत बड़ा संकट आ गया हो। उनकी कृपा मात्र से ही सारे संकट और शत्रु पलक झपकते समाप्त हो जाते हैं।

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पूर्वमुखी हनुमान

यदि किसी व्यक्ति के बहुत सारे शत्रु हों और मृत्यु समान कष्ट दे रहे हैं तो पूर्वमुखी हनुमानजी (जिनका मुख पूर्व की ओर है) की पूजा से तुरंत लाभ होता है। शास्त्रों में इनका तेज करोड़ों सूर्यों के समान बताया गया है।

पश्चिममुखी हनुमान

पश्चिम दिशा में मुख किए हुए हनुमानजी को ग्रंथों में गरुड़ स्वरूप माना गया है। इन्हें संकटमोचन भी कहा जाता है, भक्तों पर आने वाले सभी कष्ट इनकी कृपा से सहज ही दूर हो जाते हैं।

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उत्तरमुखी हनुमान

उत्तर दिशा में मुख वाली हनुमान प्रतिमा को भगवान वराह का ही दूसरा स्वरूप माना गया है। यह उनका मंगलकारी स्वरूप है जिनकी आराधना से भक्तों को अथाह सुख, संपत्ति और ऐश्वर्य प्राप्त होता है।

दक्षिणमुखी हनुमान

ऐसी हनुमान प्रतिमा जिसका मुख दक्षिण दिशा में हो, को साक्षात काल और यम माना गया है। वे भगवान नृसिंह का ही स्वरूप है और उनकी आराधना से व्यक्ति पर किए गए सभी तांत्रिक अभिचार कर्म नष्ट होते हैं। इनकी पूजा से भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: May 30, 2023 01:49 PM

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