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अखबार बांटे, बर्तन धोए, जूते पॉलिश किए… कौन थे जज फ्रैंक कैप्रियो? क्यों हुए थे दुनियाभर में मशहूर

Frank Caprio Death: दुनियाभर में मशहूर अमेरिका के जज फ्रैंक कैप्रियो का निधन हो गया है। डेढ़ साल से कैंसर से जूझ रहे कैप्रियो ने 88 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वे इंसाफ देने के अपने अनोखे अंदाज और सबसे दयालु जज के रूप में लोकप्रिय हुए थे।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Aug 21, 2025 10:00
Frank Caprio | American Judge | Pancreatic Cancer
जज फ्रैंक कैप्रियो डेढ़ साल से कैंसर से जूझ रहे थे।

Frank Caprio Profile: दुनियाभर में मशहूर जज फ्रैंक कैप्रियो का निधन हो गया है। पैनक्रियाटिक कैंसर (अग्नाशय के कैंसर) से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद जज फ्रैंक कैप्रियो ने 88 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। दिसंबर 2023 में उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर डिटेक्ट हुआ था और मई 2024 में उन्होंने कीमोथेरेपी और रेडिएशन कोर्स पूरा कर लिया था, लेकिन उम्र संबंधी समस्याओं के कारण वे रिकवर नहीं कर पाए और उनका निधन हो गया। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट लिखकर निधन की जानकारी दुनिया को दी गई।

एक शो के जरिए दिखाई गई उनकी दयालुता

फ्रैंक कैप्रियो के निधन से जहां पूरा अमेरिका गम में डूबा है, वहीं दुनियाभर से शोक संदेश आ रहे हैं। फ्रैंक कैप्रियो को कोर्ट में उनके हंसी-मजाक, हल्के-फुल्के लहजे में सुनवाई, दया, सहानुभूति, मानवतापूर्ण रवैये के साथ किए गए फैसलों के लिए जाना जाता है। इंसाफ की दुनिया में उनके योगदान को Caught in Providence नामक शो के जरिए दिखाया गया था। जज कैप्रियो ने सबसे दयालु जज के नाम से और पीड़ित को इंसाफ देने के अपने सबसे अनोखे अंदाज के लिए दुनियाभर में लोकप्रियता हासिल की थी।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए कई वीडियो

पिछले कई साल से कोर्टरूम में केस की सुनवाई करते हुए उनके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए, जिनमें वे आम लोगों के साथ सहानुभूतिपूर्ण तरीके से बातचीत करते और संवेदनशील फैसले देते नजर आते थे। लोग उन्हें याद करते हुए शोक संदेश लिख रहे हैं। उनके निधन के बाद अमेरिका में रोड आइलैंड में सभी सरकारी भवनों पर लगे झंडे आधे झुकाए गए हैं। वहीं उनके सम्मान में अमेरिका की प्रोविडेंस म्यूनिसिपल कोर्टरूम का नाम ‘द चीफ जज फ्रैंक कैप्रियो कोर्टरूम’ रख दिया गया है।

अमेरिकन लॉ सिस्टम को दिए 38 साल

फ्रैंक कैप्रियो अमेरिका की प्रोविडेंस म्यूनिसिपल कोर्ट के जज थे और उन्होंने जिंदगी के 38 साल अमेरिकन लॉ सिस्टम को दिए। वे 1985 से 2023 तक अमेरिका की न्यायपालिका का हिस्सा रहे। उन्हें ‘दुनिया के सबसे दयालु जज’ का खिताब हासिल है। उनका जन्म रोड आइलैंड प्रोविडेंस में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से इटली का रहने वाला था।

उनके पिता का नाम एंटोनियो कैप्रियो, जो फ्रूट और दूध बेचते थे। उनकी मां का नाम फिलामेना कैप्रियो था। स्कूलिंग के दौरान उन्हें रेसलिंग का शौक रहा। साल 1953 में वे स्टेट रेसलिंग चैंपियन बने। 1958 में ग्रेजुएशन के बाद बोस्टन की लॉ यूनिवर्सिटी से डिग्री ली। दिन में वे बर्तन धोकर, जूते पॉलिश करके और अखबार बांटकर पैसे इकट्ठे करते थे और रात में पढ़ाई करते थे।

राजनीति में भी आजमाया था हाथ

1962 से 1968 तक फ्रैंक कैप्रियो प्रोविडेंस सिटी काउंसिल के मेंबर रहे। 1970 में उन्होंने रोड आइलैंड का ही अटॉर्नी जनरल इलेक्शन लड़ा, लेकिन वे हार गए। 1975 में उन्हें रोड आइलैंड के संवैधानिक सम्मेलन के प्रतिनिधि और रोड आइलैंड बोर्ड ऑफ गवर्नर्स फॉर हायर एजुकेशन के अध्यक्ष रहे। बोस्टन की लॉ यूनिवर्सिटी में ‘कैप्रियो स्कॉलरशिप फंड’ की स्थापना की थी।

हाल में 4 फरवरी 2025 को उनकी किताब Compassion in the Court: Life-Changing Stories from America’s Nicest Judge छपीथी। उनकी शादी जोयस ई. कैप्रियो से हुई थी, जिनके साथ उनका 60 साल तक रिश्ता रहा। उनके 5 बच्चे फ्रैंक टी., डेविड, मारिसा, जॉन, पॉल हैं, जिनसे उनके 7 पोते-पोतियां और 2 परपोते हैं।

फ्रैंक कैप्रियो द्वारा लिए गए फैसले

जज फ्रैंक कैप्रियो ने 96 साल के बुजुर्ग को स्पीडिंग टिकट के लिए माफ किया था। उन्होंने नियम का उल्लंघन इसलिए किया था, क्योंकि वे कैंसर से जूझ रहे बेटे को डॉक्टर के पास लेकर जा रहे थे। उन्होंने अपनी बेटी की देखभाल करने के लिए संघर्ष कर रही अकेली मां पर लगा जुर्माना माफ करद दिया था। साथ ही उस महिला की आर्थिक मदद भी की थी। उन्होंने एक बच्चे को कोर्ट में पेश होने के बुलाया था। उसे अपने पिता के टिकट पर फैसला लेने का हक दिया था। बाद में उन्होंने बच्चे के पिता को माफ कर दिया था।

First published on: Aug 21, 2025 09:09 AM

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