संयुक्त राष्ट्र (UN) इस समय एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसके चलते संगठन में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की संभावना जताई जा रही है। एक इंटरनल मेमो के अनुसार, यूएन अगले 20 महीनों में अपने स्टाफ में लगभग 20% तक की कटौती कर सकता है। इसका मतलब है कि करीब 7,000 कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में हैं। इस कटौती को लेकर संगठन ने संबंधित विभागों से दो सप्ताह के भीतर डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी है। इस फैसले के पीछे मुख्य कारण आर्थिक तंगी है, जो अमेरिका द्वारा लंबित फंड के कारण और भी गंभीर हो गई है।
यूएन के फाइनेंस कंट्रोलर ने बताया कि यह फैसला इसलिए लेना पड़ा, क्योंकि अमेरिका ने अभी तक संगठन को 1.5 Billion Dollars (लगभग 1.28 लाख करोड़ रुपये) का बचा हुआ पैसा नहीं दिया है। इस पैसे के न होने से अपने खर्चों में संगठन को भारी कटौती करनी पड़ रही है।
अरबपति उद्योगपति एलन मस्क ने की आलोचना
वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और अरबपति उद्योगपति एलन मस्क द्वारा संयुक्त राष्ट्र की नीतियों और खर्चों की आलोचना करते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की गई। उन्होंने संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, जिससे यह मुद्दा और भी चर्चित हो गया है। बता दें, यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र की फंडिंग पर सवाल उठाए गए हों। ट्रंप प्रशासन के दौरान भी अमेरिका ने कई वैश्विक संस्थाओं की आर्थिक मदद में कटौती की थी। उस समय WHO और अन्य संगठनों के साथ-साथ शैक्षिक संस्थानों की फंडिंग भी प्रभावित हुई थी। ऐसे में अब संयुक्त राष्ट्र को मिलने वाली सहायता पर भी असर पड़ा है, जिससे हजारों कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
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