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चुटकियों में जिंदा जला दे इंसान को…जानें ड्रैगन ड्रोन कितने खतरनाक? यूक्रेन ने गिराए रूसी सैनिकों पर

Russia Ukraine War Latest Update: रूस यूक्रेन युद्ध ने खतरनाक रूप ले लिया है। यूक्रेन ने रूसी सेना पर ड्रैगन ड्रोन से हमला किया है। यूक्रेन ने अपने ही देश में जंगलों को जला दिया और इनमें छिपकर बैठी रूसी सेना को भी खत्म कर दिया। ऐसा दावा किया जा रहा है।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Sep 8, 2024 13:25
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Ukraine Dragon Drone Attack on Russian Army
यूक्रेन ने अपने ही जंगल जलाकर राख कर दिए।

Ukraine Dragon Drone Attack on Russian Army: 2 साल से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब खतरनाक रूप ले चुका है, क्योंकि यूक्रेन ने रूस के खिलाफ बेहद खतरनाक हथियार इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। यह हथियार चुटकियों में इंसान को जिंदा जलाकर राख बना देता है। जी हां, यूक्रेन रूस की सेना पर अब ड्रैगन ड्रोन से आसमान से आग बरसा रहा है। दावा किया जा रहा है कि जंगल में ठिकाना बनाए बैठे रूस के सैनिक भी मारे जा चुके हैं।

रूस के सैनिकों पर ड्रैगन ड्रोन से हमले के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। यूक्रेनी सेना द्वारा अपने ही देश के खार्किव क्षेत्र में रूसी सेना के ठिकानों पर ड्रैगन ड्रोन से हमला किया गया। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने वीडियो अपलोड किया, जिसमें कम ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोनों को ‘आग की धार’ छोड़ते हुए देखा जा सकता है। यह आग की धार पिघली हुई धातु है, जो चपेट में आते ही किसी भी चीज को जलाकर राख बना दे। आइए इन ड्रैगन ड्रोन की खासियतों के बारे में जानते हैं…

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सेकंड वर्ल्ड वॉर में हुआ था हथियार का इस्तेमाल

HT की रिपोर्ट के अनुसार, ड्रैगन ड्रोन से एक प्रकार की पिघली हुई धातु गिराई जाती है। यह एल्यूमीनियम पाउडर और आयरन ऑक्साइड का सफेद गर्म मिश्रण है, जिसे थर्माइट कहते हैं। हालांकि यह मिश्रण 2200 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर जलता है और इंसान को भी जलाकर राख कर सकता है, लेकिन अगर रूसी सैनिक इससे बच भी गए होंगे तो उन्हें पनाह देने वाले जंगल तो जलकर राख हो गए हैं, लेकिन इस अटैक में रूस के सैनिक बुरी तरह झुलसे जरूर होंगे।

पिघली धातु का मिश्रण ड्रैगन के मुंह से निकलने वाली आग जैसा है। इसलिए इन्हें ड्रैगन ड्रोन नाम दिया गया है। थर्माइट से बचाव करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि यह हर चीज को जला सकते हैं। सेकंड वर्ल्ड वॉर में जर्मनी और उसके सहयोगी देशों द्वारा इनका इस्तेमाल किया जाता था। 1960 के दशक से 2014 तक संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना द्वारा इसका इस्तेमाल किया गया। साल 2023 में इनका प्रोडक्शन फिर शुरू हुआ और यह दुनियाभर के देशों की सेना को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

हथियार का इस्तेमाल चौथी या 5वीं डिग्री का टॉर्चर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक्शन ऑन आर्म्ड वायलेंस (AOAV) के अनुसार, 1890 के दशक में यह मिश्रण पहली बार बनाकर इस्तेमाल किया गया था। उस समय रेलवे ट्रैक की वेल्डिंग करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था। इसकी जलाने की क्षमता देखकर ही थर्माइट को आधुनिक युद्ध हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है।

वास्तव में थर्माइट सिर्फ आग लगाने वाला हथियार है, लेकिन इसमें नेपाम और सफेद फॉस्फोरस मिलकर इसे जानलेवा बना देते हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के अनुसार, इस हथियार के इस्तेमाल को ‘चौथी या 5वीं डिग्री का टॉर्चर कह सकते हैं। यह इंसान की मांसपेशियों, स्नायुतंत्र, कंडरा, तंत्रिकाओं, रक्त वाहिकाओं और हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है।

HISTORY

Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Sep 08, 2024 01:05 PM

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