MPox Virus Symptoms Latest Update: कोरोना के बाद पूरी दुनिया एक और खतरनाक वायरस Mpox (मंकीपॉक्स) से जूझ रही है। अफ्रीकी देशों के साथ-साथ दुनियाभर के 20 से ज्यादा देशों में यह वायरस फैला है। इसके मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जुलाई महीने में अफ्रीकी देशों में इसके मरीज मिले। फिर स्वीडन में Mpox (मंकीपॉक्स) का नया स्ट्रेन मिला। जुलाई से अब तक पूरी दुनिया में 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस मंकीपॉक्स को महामारी घोषित करते हुए वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की थी। पाकिस्तान में मंकीपॉक्स का मरीज मिल चुका है। भारत में भी एक संदिग्ध मरीज मिला था, लेकिन उसे मंकीपॉक्स होने की पुष्टि नहीं हुई। इस बीच अफ्रीकी व्यक्ति में Mpox का नया स्ट्रेन ‘क्लेड 1बी’ मिला है, जिसने बीमारी के भयानक लक्षण और आपबीती दुनिया को बताई है।
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नया स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक और दर्दनाक
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीकी देश बुरुंडी के शहर बुजुम्बुरा निवासी 40 वर्षीय एगीडे इरम्बोना ने BBC को इंटरव्यू दिया। उसने बताया कि उसे मंकीपॉक्स हुआ है। किंग खालिद यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल में उसका इलाज चल रहा है, लेकिन इस बीमारी के कारण वह काफी दर्द में है, क्योंकि उसके शरीर पर छाले हैं, जिनमें जख्म और खून है। दर्द इतना होता है कि वह सारी रात सो नहीं पाता। उसके गले के लिम्फ नोड्स बुरी तरह सूज गए हैं। दर्द पूरे शरीर में होता है।
दूसरे Mpox वैरिएंट की तुलना में क्लेड 1बी अधिक संक्रामक है और ज्यादा खतरनाक है। इरम्बोना कहते हैं कि उन्हें उनके दोस्त से यह संक्रमण हुआ, क्योंकि उसके शरीर पर भी छाले थे। उसे नहीं पता कि उसे मंकीपॉक्स हुआ है और वह उसका हालचाल जानने के लिए। घर आकर उसकी तबियत खराब हो गई। पत्नी पर संक्रमित है, लेकिन शुक्र है कि बच्चों में इसके कोई लक्षण नहीं दिखे।
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बच्चों में सबसे ज्यादा फैल रहा वायरस
इरम्बोना ने बताया कि वह जिस अस्पताल में भर्ती है, वहां इस बीमारी के 59 मरीज हैं। इनमें से एक तिहाई मरीज 15 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट भी कहती है कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होंगे। अस्पताल की डॉक्टर ओडेट नसवीमाना बताती हैं कि बहुत मुश्किल समय है। मंकीपॉक्स बच्चों को होता है और बच्चे अकेले रह नहीं पाते।
इसलिए उनकी माताओं को भी साथ रखना पड़ता है। उन्हें संक्रमण न हो, इसके इंतजाम अलग से किए गए हैं। फिर भी टेंशन रहती है, क्योंकि इस वायरस की न कोई वैक्सीन है और न ही कोई टेस्टिंग किट है। सिर्फ छाले और सूजन देखकर ही अंदाजा लगाया जाता है कि मंकीपॉक्स हुआ है। ऐसे में इस संक्रामक बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय ही सतर्कता है।
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