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चांद पर दौडे़गी बुलेट ट्रेन, अंतरिक्ष में लोगों को मारी जाएगी गोली; चीन-जापान के प्लान से दुनिया हैरान

Bullet train Hypersonic Railgun: चीन और जापान ने एक ऐसा प्लान बनाया है, जिससे दुनिया हैरान है। जापान की योजना जहां चांद पर बुलेट ट्रेन चलाने की है तो वहीं, चीन अंतरिक्ष में भी लोगों को गोली मारने की तकनीक विकसित रहा है। पढ़ें यह खास रिपोर्ट...

Edited By : Achyut Kumar | Updated: Mar 18, 2024 10:09
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bullet train on moon hypersonic railgun
Bullet Train Hypersonic Railgun: चीन और जापान के प्लान से दुनिया हुई हैरान

Hypersonic Railgun Electromagnetic Launch Track Bullet Train: स्पेस सेक्टर का तेजी से विकास हो रहा है। आने वाले समय में हम चांद पर बुलेट ट्रेन चलते हुए भी देख सकते हैं। इसके साथ ही हम, अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक जेट की लॉन्चिंग भी देख सकते हैं। जापान और चीन ने यह प्लान बनाया है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं…

क्योटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया बड़ा ऐलान

जापान में क्योटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2022 में ऐलान किया था कि वे काजिमा कंस्ट्रक्शन के साथ पार्टनरशिप में पृथ्वी, चांद और मंगल को जोड़ने वाली इंटरप्लेनेटरी ट्रेनों और एक आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट का निर्माण करेंगे। शोधकर्ताओं ने ‘ग्लास’ नामक एक लिविंग हैबिटेट बनाने के अपने इरादों का खुलासा किया है। इसका मकसद ह्यूमन मस्कुलोस्केटल सिस्टम को कम गुरुत्वाकर्षण और शून्य गुरुत्वाकर्षण सेटिंग्स में कमजोर होने से रोका जा सके।

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क्या है ‘द ग्लास’?

दरअसल, क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन ‘द ग्लास’ का निर्माण करना चाहते हैं, जो कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण और पृथ्वी के समान सुविधाओं वाली एक शंक्वाकार इमारत है। इसमें इंसानों के रहने के लिए नदियों, पानी और पार्क जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। यह इमारत एक उलटे शंकु की तरह है।  इसको आप नीचे दिए गए वीडियो के जरिए अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

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2050 तक प्रोटोटाइप बनाने की उम्मीद

शोधकर्ताओं को 2050 तक लगभग 1300 फीट ऊंचा और 328 फीट व्यास का एक सरल प्रोटोटाइप बनाने की उम्मीद है। हालांकि, फाइनल वर्जन को बनाने में एक शताब्दी का समय लग सकता है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मंगल पर स्थित ड्वेलिंग को मार्सग्लास, जबकि चांद पर स्थित ड्वेलिंग को लूनाग्लास कहा जाएगा।

तैरती हुई दिखाई दे रही कैप्सूल

बता दें कि विशाल कैप्सूल की बाहरी संरचना तैरती हुई दिखाई देती है। ऐसी संभावना है कि इसमें चीन और जर्मनी की मैग्लेव ट्रेनों में यूज की जाने वाली विद्युत चुम्बकीय तकनीक (Electromagnetic Technology) का उपयोग किया गया है। रेडियल सेंटर अक्ष प्रत्येक व्हीकल से लोगों की आवाजाही को ट्रैक करता है। चांद और मंगल की गति एक G (30 मीटर की त्रिज्या और 5.5 चक्कर प्रति मिनट) बनाए रखती है। पृथ्वी पर रेलवे स्टेशन को टेरा स्टेशन नाम दिया गया, जबकि स्टैंडर्ड गेज ट्रैक पर सफर करने वाली छह डिब्बों वाली ट्रेन को स्पेस एक्सप्रेस कहा गया।

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चीन का क्या है प्लान?

चीन स्पेस में इलेक्ट्रोमैग्निटक रेल गन का इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। इससे एक स्पेसक्रॉफ्ट को अंतरिक्ष में ले जाया जा सकेगा। हालांकि, यह आसान नहीं होगा। हाइपरसोनिक रेल गन के जरिए लोगों को अंतरिक्ष में गोली मारी जा सकती है। चीन का मकसद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लॉच ट्रैक ( Electromagnetic Launch Track) का यूज कर एक हाइपरसोनिक विमान को मैक 1.6 तक तेज करना है।

बोइंग 737 से बड़ा और 50 टन वजनी है स्पेसक्राफ्ट

चीनी मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, ध्वनि की गति से सात गुना अधिक गति पर विमान ट्रैक से मुक्त हो जाएगा और स्पेस में प्रवेश करेगा। स्पेस क्राफ्ट बोइंग 737 से बड़ा और 50 टन वजनी है। यह तेंग्युन परियोजना का एक हिस्सा है। इसका खुलासा चीन एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कारपोरेशन ने 2016 में किया था।

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Edited By

Achyut Kumar

First published on: Mar 18, 2024 09:41 AM

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