Israel Iran War: ईरान और इजरायल के बीच तनाव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। आज इनके बीच युद्ध का सातवां दिन शुरू हो चुका है और दोनों के बीच मिसाइल अटैक लगातार चल रहे हैं। इजरायली सेना ईरान के क्षेत्रों को तबाह करने में लगी हुई है जबकि ईरान के सुप्रीम लीडर अब भी जंग से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं और आत्मरक्षा की बात कह रहे हैं। इस युद्ध में डोनाल्ड ट्रंप भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, उनका खुला समर्थन इजरायल को है। उन्होंने अयातुल्लाह से सरेंडर करने की बात कही थी। वहीं, नेतन्याहू भी कह चुके है कि अयातुल्लाह की मौत से युद्ध शांत हो सकता है। इस बीच अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सेना का विस्तार कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य इजरायल को ईरानी हमलों से बचाना और क्षेत्र में अमेरिकी सेना की रक्षा करना हो सकता है।
क्यों उठाए गए ये कदम?
अमेरिकी रक्षा सचिव की माने तो इस तैनाती के पीछे अमेरिका के नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ बोलते हैं हमारे लोगों की सुरक्षा ही प्राथमिकता है। पेंटागन द्वारा भेजे गए लड़ाकू विमान, ईंधन भरने वाले टैंकर और रणनीतिक स्थानों पर युद्धपोतों को फिर से तैनात किया गया है, जो इस बात का संकेत है कि अमेरिकी किसी जंग की तैयारी कर रहा है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप इससे पहले सोशल मीडिया पर यह कह चुके हैं कि ईरान के परमाणु और आसमानी इलाकों में उनका पूर्ण नियंत्रण है।
गौरतलब है कि मंगलावर तक तो कोई भी अमेरिकी विमान की एंट्री ईरान के इलाकों में नहीं हुई है और जो भी ऑपरेशन चलाए जाएंगे वह इजरायल की रक्षा के लिए होंगे।
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अमेरिका ने क्या तैयारियां की हुई है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक दर्जन F-16 को सऊदी अरब में ट्रांसफर किया गया है। अमेरिकन जेट आसमानों में गश्त लगा रहे हैं। डिएगो गार्सिया में B-52 बॉम्बर्स लगाए गए हैं। वहीं, B-2 स्टील्थ बमवर्षक, जो 30,000 पाउंड के बंकर बस्टर अभी तैनात नहीं किए गए हैं। इसके अलावा, मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर या जीबीयू-57 भी शक्तिशाली विकल्प है, जो परमाणु स्थलों में काम आ सकता है। यह पहाड़ों में इतनी गहराई से दबा हुआ है कि कोई भी इसे आसानी से नष्ट नहीं कर सकता। हालांकि, इनकी संख्याओं पर अब भी संशय बना हुआ है।
कहां-कहां तैनात विमान?
मध्य पूर्व में हाल के समय में ओपन-सोर्स जानकारी की समीक्षा करने वाला ग्रुप ऑरोरा इंटेल ने बताया है कि अमरिकन आर्मी ने इंग्लैंड, स्पेन, जर्मनी और ग्रीस सहित पूरे यूरोप में अलग-अलग रणनीतिक स्थानों पर ईंधन भरने वाले प्लेन और फाइटर प्लेनों की तैनाती की है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इनका इस्तेमाल सार्वजनिक विमानन ट्रैकिंग वेबसाइटों की जानकारी हासिल करना है।
ग्राउंड पर भी बढ़ाई तैनाती
सेंट्रल इस्ट जोन में अमेरिकी सैनिकों की संख्या सामान्यत: 30,000 होती है, जो बढ़ाकर लगभग 40,000 कर दी गई है। कुछ ठिकानों पर परिवारों को स्वेच्छा से जगह खाली करने की भी अनुमति दी गई है। इजरायल और ईरान के बीच तनाव के साथ-साथ यमन में ईरानी समर्थित हौथियों द्वारा लाल सागर में वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों पर लगातार हमले हुए हैं, जिसके जवाब में पिछले साल अक्टूबर में यहां भी सैनिकों की संख्या 43,000 तक बढ़ गई थी।
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