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28 सेकंड तक फांसी पर लटका रहा स्टूडेंट, ऐसे बची जान; फिर दोबारा मिली मौत की सजा

Iran News : ईरान में हत्या के मामले में कोर्ट ने एक स्टूडेंट को मौत की सजा सुनाई। पहले स्टूडेंट 28 सेकंड तक फांसी पर लटका रहा, लेकिन उसकी जान बच गई। पीड़ित परिवार द्वारा माफी वापसी लेने पर दोबारा मौत की सजा मिली।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Nov 13, 2024 22:17
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File Photo

Iran News : ईरान में सजा-ए-मौत पर एक अलग ही कानून है। अगर पीड़ित परिवार ने माफ कर दिया तो आरोपी फांसी की सजा से बच सकता है। इसके लिए कुछ शर्तें रखी जाती हैं। शर्त पूरा नहीं होने पर पीड़ित परिवार द्वारा माफी वापस लेने के बाद उसे दोबारा फांसी पर लटका दिया जाता है। ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है, आइए जानते हैं सबकुछ।

नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स (IHR) के अनुसार, अक्टूबर 2018 में हत्या के आरोप में छात्र अहमद अलीजादेह (26) को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे अप्रैल 2019 में मौत की सजा सुनाई गई, लेकिन 28 सेकंड बाद ही उसे फांसी के फंदे से नीचे उतार लिया गया और होश में आने के बाद जेल भेज दिया गया, क्योंकि फांसी के दौरान पीड़ित परिवार ने अचानक से ‘माफ दे दो’ चिल्ला दिया था।

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पहली बार पीड़ित परिवार ने ऐसे बचाई थी जान

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ईरान में फांसी की सजा पर नजर रखने वाले संगठन IHR ने एक बयान में कहा कि पीड़ित परिवार ने अलीजादेह के फांसी पर लटके रहने के दौरान ‘माफी, माफी’ चिल्लाया। ईरानी शरिया कानून के तहत, पीड़ित परिवार अपराधी की जान बख्शने के लिए ब्लड मनी (किसी दूसरे के जीवन की कीमत पर प्राप्त धन) की मांग कर सकता है या उसे माफ करने का फैसला भी ले सकता है। कई मामलों में दोषी का परिवार निर्धारित पैसों का भुगतान नहीं कर सकता और उसे फांसी दे दी जाती है।

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धनराशि देने पर बचती है जान

आईएचआर के अनुसार, पहली बार उसकी मौत की सजा तेहरान के बाहर करज में गेजेल हेसर जेल में दी गई थी। पीड़ित के परिवार के साथ पैसों का कोई सौदा न होने के कारण बुधवार सुबह गेजेल हेसर जेल में उसे फिर से फांसी दी गई। इसे लेकर आईएचआर के निदेशक महमूद अमीरी-मोगादाम ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि प्रतिभाशाली छात्र अहमद अलीजादेह को हत्या के आरोप में दूसरी बार फांसी दी गई, जिसका उसने खंडन किया और दावा किया कि उसने यातना के तहत कबूल किया।

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Written By

Deepak Pandey

First published on: Nov 13, 2024 10:16 PM

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