Impact of H-1B visa fee hike on Indian IT exports 2025: अमेरिका द्वारा H1B Visa की फीस में बढ़ोतरी के बाद भारतीय आईटी निर्यात की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. यानी अब इंडिया से अमेरिका नौकरी करने जाने वाले आईटी प्रोफेशनल्स को नौकरी मिलने की संख्या कम होने की संभावना जताई जा रही है.
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार अमेरिका में एच-1बी वीजा शुल्क में अचानक की गई भारी बढ़ोतरी से भारतीय आईटी क्षेत्र को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, एमकेए ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 में आईटी सेवाओं के निर्यात में वृद्धि दर 4 प्रतिशत से नीचे रह सकती है.
ये सेंटर तय करेंगे आईटी कंपनियों की दिशा तय
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में भारतीय आईटी और सॉफ्टवेयर निर्यात सकल रूप से (gross/net) 1587 करोड़ से ज्यादा और शुद्ध रूप से 1411 करोड़ से ज्यादा स्तर पर पहुंचा था. अगले पांच वर्षों के लिए सात प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब यह लक्ष्य संकट में है. विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) का विकास और आईटी कंपनियों द्वारा अपनाए जा रहे नए मॉडल ही इस क्षेत्र की दिशा तय करेंगे. वर्तमान में GCC पहले से ही 5731 अरब डॉलर से अधिक के सकल निर्यात में योगदान दे रहे हैं.
भारतीय आईटी निर्यात को झकझोर सकती है फीस बढोतरी
एमकेए की चीफ इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा कि शॉर्ट टर्म में आईटी कंपनियों की आय और मार्जिन पर असर सीमित रह सकता है. लेकिन यदि यह शुल्क वृद्धि लंबे समय तक बनी रही, तो यह भारतीय आईटी निर्यात को झकझोर सकती है. कंपनियों के पारंपरिक मॉडल प्रभावित होंगे, प्रोजेक्ट मार्जिन पर दबाव पड़ेगा, सप्लाई चेन बाधित होगी और साइट पर प्रोजेक्ट्स प्रभावित होंगे. हालांकि, समय के साथ डिलीवरी मॉडल को ऑफशोरिंग की ओर मोड़ने से कुछ हद तक क्षतिपूर्ति हो सकती है. बता दें अमेरिकी सरकार ने हाल ही में नए एच-1बी वीजा के लिए शुल्क को 88 लाख रुपये तक बढ़ा दिया है.
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