Donald Trump: अमेरिका की एक अदालत ने लिबरेशन डे टैरिफ लागू करने पर डोनाल्ड ट्रंप को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए इस टैरिफ पर अस्थायी रोक लगा दी है और कहा कि ट्रंप अपने पूर्व राष्ट्रपति पद का लाभ उठा रहे हैं। कोर्ट के मुताबिक, यह टैरिफ व्यापारिक स्वतंत्रता और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। ट्रंप प्रशासन की ओर से इस नीति को देशभक्ति से जोड़ा गया था, लेकिन कोर्ट ने इसे “राजनीतिक फायदे के लिए उठाया गया कदम” बताया। जानते हैं पूरी बात।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने उन सभी देशों पर समान टैक्स लगाने का आदेश दिया था, जो अमेरिका से कम सामान लेते हैं और उन्हें अपना सामान ज्यादा बेचते हैं। इसे लिबरेशन डे टैरिफ का नाम दिया गया था। हालांकि, ट्रंप सरकार ने इस टैक्स को लगाने की घोषणा अप्रैल में ही कर दी थी, मगर अब मैनहैटन की एक संघीय अदालत ने इस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को अधिकारों का दुरुपयोग बताया है। साथ ही, कोर्ट ने इसे अमेरिकी संविधान के खिलाफ लिया गया फैसला भी कहा है।
3 जजों की बेंच ने लिया फैसला
मैनहट्टन स्थित तीन जजों वाली कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि कांग्रेस ने IEEPA के तहत राष्ट्रपति को असीमित शक्तियां नहीं सौंपी हैं। पीठ ने कहा कि यह राष्ट्रपति को केवल आपातकाल के दौरान “असामान्य और असाधारण खतरे से निपटने के लिए” आवश्यक आर्थिक प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है।
ट्रंप प्रशासन का तर्क
ट्रंप प्रशासन ने अपनी दलील में 1971 का हवाला दिया है, जब तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने आपातकाल के दौरान टैरिफ लगाए थे और कोर्ट ने उस समय उन्हें मंजूरी दी थी। ट्रंप के वकीलों का कहना था कि आपात स्थिति घोषित करने की वैधता तय करना अदालत का नहीं, बल्कि कांग्रेस का अधिकार है। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी शक्तियों की सीमाएं तय करना न्यायपालिका का भी दायित्व है।
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