China Aircraft Wings Holes to reduce Turbulence: प्लेन में उड़ान के समय अक्सर काफी टर्बुलेंस देखने को मिलता है। खासकर जब हवाई जहाज सुपरसोनिक स्पीड से चल रहा हो तो झटके लगना आम बात है। हालांकि इससे निजात पाने के लिए चीन के एक वैज्ञानिक ने प्लेन के विंग में छेद कर दिया। हैरानी की बात को ये है कि इससे प्लेन में झटके लगना कम हो गए। आप सोच रहे होंगे ये भला कैसे मुमकिन है?
क्या होगा असर?
दरअसल हवाई जहाज अक्सर तेज हवा के कारण शेक करता है, जिससे अंदर बैठे यात्रियों को टर्बुलेंस से दो-चार होना पड़ता है। हालांकि चीनी वैज्ञानिक ने हवाई जहाज के विंग्स में छेद कर दिए। इससे हवा सीधे प्लेन से टकराने की बजाए विंग्स में बने छेद से आरपार हो रही थी। इससे प्लेन में लगने वाले झटकों में 10 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
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प्लेन का मॉडल
चीनी वैज्ञानिक की इस खोज ने एयरक्राफ्ट के डिजाइन को भी चुनौती दे दी है। 1903 में जब राइट ब्रदर्स ने पहली फ्लाइट तैयार की थी। तो पंखों की उसमें अहम भूमिका थी। प्लेन के विंग्स को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि उनका ऊपरी हिस्सा कर्व और निचला हिस्सा फ्लैट होता था। इससे प्लेन के ऊपर हवा का बहाव तेज होता है और दबाव कम बनता है। वहीं विंग्स के नीचे हवा का प्रेशर कम होता है और दबाव अधिक रहता है। इसकी मदद से प्लेन हवा में आसानी से उड़ सकता है।
सुपरसोनिक प्लेन एकमात्र विकल्प
आज भी सारे एयरक्राफ्ट को इसी तरह से डिजाइन किया जाता है। हालांकि इस उड़ान के दौरान टर्बुलेंस और झटके लगना यात्रियों के लिए बड़ी मुसीबत साबित होता है। इन झटकों से निजात पाने के लिए सुपरसोनिक प्लेन एकमात्र विकल्प है। मगर ये प्लेन काफी महंगे होते हैं और दुनिया के कुछ ही देश इसे अफॉर्ड कर सकते हैं।
नासा की खोज जारी
चीन की नॉर्थवेस्ट पॉलिटैक्निक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाओ चाओ के अनुसार प्लेन के विंग्स में छेद करने से टर्बुलेंस की समस्या को कम किया जा सकता है। चीन के अलावा अमेरिका भी इस पर काम कर रहा है। नासा इसी साल एक नए प्लेन की टेस्टिंग करने जा रहा है। इस एक्सपेरिमेंटल प्लेन का मकसद सुपरसोनिक आवाजों को कम करके फ्लाइट को टर्बुलेंस फ्री बनाना है।
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