Vasundhara Raje Latest News Diya Kumari Rajasthan Election 2023: राजस्थान में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी बीजेपी फिलहाल रणनीतियां बनाने में व्यस्त है। इसी क्रम में बुधवार को पार्टी अध्यक्ष नड्डा और गृहमंत्री शाह ने जयपुर में एक मैराथन मीटिंग की। राजस्थान में भाजपा इस बार का चुनाव बिना सीएम फेस के लड़ेगी। यह फैसला बुधवार को देर रात हुई मीटिंग में लिया गया था। हालांकि राजस्थान से जुड़े कई नेता इस बात को पहले भी कह चुके थे। लेकिन अंतिम मोहर लगाई अमित शाह ने। इस मीटिंग में 2 बार प्रदेश की कमान संभाल चुकी कद्दावर नेता वसुंधरा राजे भी शामिल हुई। इस बीच एक और महिला है जिनका नाम इन दिनों सियासी फिजा में हिलोरे मार रहा है। राजसमंद सांसद दीया कुमारी।
इस कारण हो रही चर्चा
25 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी की जयपुर में हुई जनसभा में मंच पर दो महिलाओं को प्रमुखता से जगह मिली। एक थीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और दूसरी दीया कुमारी। कार्यक्रम के दौरान पूर्व सीएम ने कोई उद्बोधन नहीं दिया लेकिन दीया कुमारी ने वहां उपस्थित जनता को संबोधित किया। इस घटना के बाद राजनीति के जानकार यह कयास लगा रहे हैं कि राजस्थान में भाजपा पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को साइडलाइन कर दीया कुमारी के रूप में उनका विकल्प तैयार करने की कोशिश कर रही है। जानें कौन हैं दीया कुमारी जो राजस्थान में बीजेपी की ओर से सीएम की संभावित उम्मीदवार मानी जा रही है।
जानें कौन हैं दीया कुमारी
दीया कुमारी राजसमंद सीट से भाजपा की सांसद हैं। उनका जन्म जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह और पद्मिनी देवी के घर में हुआ। दीया ने अपनी काॅलेज की पढ़ाई लंदन से पूरी की। फिलहाल वे बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल रही हैं। 2013 में दीया कुमारी ने सवाईमाधोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बनीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें राजसमंद से टिकट दिया इसके बाद वे यहां से पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई। राजनीति में सक्रिय रहने वाली दीया कुमारी को अब वसुंधरा का विकल्प माना जा रहा है।
इसलिए बन रही संभावनाएं
प्रदेश में राजपूत जाति हमेशा से निर्णायक वोटर रही है। राजपुत शुरू से ही भाजपा के कट्टर समर्थक रहे हैं। राजस्थान में 14 फीसदी राजपूत वोटर हैं वहीं उनका राज्य की 60 सीटों पर दबदबा भी है। पिछले चुनाव में राजपूत वोटर वसुंधरा से नाराज बताए जा रहे थे। पिछले चुनावों का एक नारा ‘वसुंधरा तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं।’ यह नारा इस समुदाय ने ही दिया था। माना जाता है कि आनंदपाल एनकाउंटर के बाद पश्चिमी राजस्थान के राजपूत भाजपा से नाराज हो गए थे इस कारण 2018 के चुनाव में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया था।
राजस्थान की सियासी फिजाओं के जानकार मानते हैं कि वसुंधरा राजे को लोग महारानी के तौर पर देखते हैं वहीं दीया की भी यही पहचान हैं। लोगों में पार्टी के खिलाफ नाराजगी ना बढ़े इसलिए हाईकमान महारानी के विकल्प के तौर पर महारानी को पेश कर रहा है। ताकि अगर ताजपोशी नहीं होने से वसुंधरा नाराज हो जाए तो पार्टी को ज्यादा नुकसान न हो।