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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

Ambulance नहीं पहुंचने से अब नहीं जाएगी किसी की जान, मेरठ के इनोवेटर ने बनाई नैनो से छोटी एंबुलेंस

Greater Noida News: अब संकरी गलियों, घुमावदार रास्तों और ट्रैफिक जाम में फंसे बिना मरीजों तक समय पर एंबुलेंस पहुंच सकेगी. यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में दुनिया की सबसे छोटी एंबुलेंस ने सबका ध्यान खींचा है. यह एंबुलेंस न केवल आकार में छोटी है, बल्कि तकनीक के मामले में भी बेहद उन्नत है.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : praveen vikram Updated: Sep 27, 2025 14:13

Greater Noida News: अब संकरी गलियों, घुमावदार रास्तों और ट्रैफिक जाम में फंसे बिना मरीजों तक समय पर एंबुलेंस पहुंच सकेगी. यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में दुनिया की सबसे छोटी एंबुलेंस ने सबका ध्यान खींचा है. यह एंबुलेंस न केवल आकार में छोटी है, बल्कि तकनीक के मामले में भी बेहद उन्नत है. इसको युवा इनोवेटर सुधांशू पाल ने बनाया है. देश सेवा के लिए उन्होंने विदेश की नौकरी ठुकरा दी.

महज 2.9 मीटर लंबी, नैनो से भी छोटी

मेरठ के युवा इनोवेटर सुधांशू पाल द्वारा विकसित इस एंबुलेंस की लंबाई केवल 2.9 मीटर है, जो कि टाटा नैनो से भी 20 सेंटीमीटर छोटी है. इतनी कॉम्पैक्ट बनावट के बावजूद इसमें दो स्ट्रेचर, ऑक्सीजन सिलेंडर, स्मार्ट मॉनिटर, बीपी और पल्स ऑक्सीमीटर, प्राथमिक चिकित्सा किट सहित सभी जरूरी मेडिकल सुविधाएं मौजूद हैं.

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बैटरी और सोलर दोनों से चलती है एंबुलेंस

इस माइक्रो एंबुलेंस की सबसे खास बात यह है कि यह सौर ऊर्जा और बैटरी दोनों से चल सकती है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अनुपलब्धता को ध्यान में रखते हुए इसमें सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो एक बार चार्ज होकर 40 किलोमीटर तक चला सकते हैं.

यह एंबुलेंस दो रेंज में उपलब्ध है

-400 किमी रेंज वाला मॉडल 8.5 लाख
-200 किमी रेंज वाला मॉडल 6.5 लाख

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विदेशी पैकेज छोड़ भारत लौटे सुधांशू

सुधांशू पाल इटली की एक प्रतिष्ठित ऑटोमोबाइल डिजाइन कंपनी में लग्जरी गाड़ियों की डिजाइनिंग करते थे. 8 साल तक विदेशी कंपनियों में करोड़ों के पैकेज पर काम करने के बाद उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को साकार करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और देश लौट आए. भारत आकर उन्होंने स्टार्टअप की शुरुआत की और देश की जरूरतों के मुताबिक यह अभिनव एंबुलेंस डिजाइन की.

गांवों, कस्बों और पहाड़ी इलाकों के लिए वरदान

यह एंबुलेंस उन क्षेत्रों के लिए वरदान है जहां आम एंबुलेंस का पहुंचना मुश्किल होता है. जैसे घनी बस्तियां, संकरी गलियां, पर्वतीय क्षेत्र या जाम से ग्रस्त शहरी क्षेत्र. ट्रैफिक में यह आसानी से निकल सकती है, जिससे समय पर अस्पताल पहुंचना संभव हो सकेगा.

कम लागत, अधिक राहत

सुधांशू का कहना है कि इस एंबुलेंस की रनिंग कॉस्ट सामान्य एंबुलेंस की तुलना में काफी कम है. इसके छोटे आकार, सोलर-बेस्ड ऑपरेशन और लो मेंटेनेंस के कारण यह निजी हॉस्पिटल्स और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी किफायती विकल्प है.

देश के लिए कुछ करने का सपना था

सुधांशू कहते है कि विदेश में सबकुछ था, लेकिन दिल में एक खालीपन था. अपने देश के लिए कुछ करना चाहता था. यही सोचकर भारत लौटा और यह एंबुलेंस बनाई. अगर इससे किसी की जान बच सके, तो मेरी मेहनत सफल होगी.

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First published on: Sep 27, 2025 02:13 PM

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