Live-in Relationship: लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों पर धर्मांतरण कानून लागू होगा। उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद कोर्ट ने यह व्यवस्था दी है। दरअसल, न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट करते हुए कहा कि नियमों के अनुसार धर्म परिवर्तन का रजिस्ट्रेशन न केवल मैरिज के उद्देश्य के लिए बल्कि विवाह की प्रकृति में संबंधों के लिए भी जरूरी है।
The #AllahabadHC has said that live-in partners are bound by provisions of the #UttarPradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion.https://t.co/pstq5JNSrP
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लीव इन में रहते हुए धर्म परिवर्तन नहीं किया था
जानकारी के अनुसार अदालत में 24 वर्षीय मुस्लिम महिला और 23 वर्षीय हिंदू युवक ने एक याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया था कि दोनों ने आर्य समाज मंदिर में शादी की है। याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट से किसी भी उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा देने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया की उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया है।
शादी का पंजीकरण करवाना होगा
न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की पीठ ने मामले में सुनवाई के दौरान याचिका खारिज कर दी और जोड़े को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए कानून के अनुसार आवेदन जरूरी है। अदालत ने याचिकाकर्ता जोड़े को निर्देश दिया कि वह नियमों के अनुसार अपनी शादी का पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें। वहीं, सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस के वकील ने अदालत को बताया कि दोनों के परिवारों की तरफ ने उनकी शादी के बारे में कोई शिकायत नहीं दी गई है। कोर्ट को बताया गया कि उनकी शादी को किसी ने चुनौती नहीं दी गई। ऐसे में उनकी याचिका खारिज की जानी चाहिए।
यह है नियम
जानकारी के अनुसार यूपी में उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 लागू है। इस नियम के अनुसार यहां गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने या अपनी पहचान छिपाकर शादी करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
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