BJP New Strategy For Uttar Pradesh: लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा इस बार उत्तर प्रदेश में सिर्फ 33 सीटें जीत पाई, जिसे सबसे बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में भाजपा हाईकमान ने उत्तर प्रदेश में पार्टी के संगठन और कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव करने की रणनीति बनाई है। भाजपा दोहरी रणनीति बनाकर उत्तर प्रदेश में संगठन को फिर से मजबूत करेगी।
इसके लिए जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत किया जाएगा। दूसरी ओर संगठन को मजबूत और अधिक मजबूत बनाने के लिए इसमें बदलाव किए जाएंगे। भाजपा नए सिरे से रणनीति बनाएगी, ताकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन जैसे मुखर विपक्ष का मुकाबला करने के लिए अपना पक्ष आक्रामक किया जा सके।
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योगी के मंत्रियों का आकलन किया जाएगा
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की सर्वोच्च प्राथमिकता केंद्र में नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार द्वारा निर्धारित किए गए 100 दिन के एजेंडे को पूरा करना है। राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार की स्कीमों और प्रोजेक्टों को जमीनी स्तर पर लागू करना है। मुख्यमंत्री योगी ने पिछले हफ्ते मंत्रियों-अधिकारियों की बैठक बुलाकर इसकी शुरुआत की थी, लेकिन भाजपा हाईकमान पार्टी संगठन और सरकार के बीच को-ऑर्डिनेशन को और ज्यादा मजबूत करने पर फोकस करेगा, ताकि और अच्छा अच्छे तरीके से लोगों से जुड़ा जा सकते। योगी सरकार के मंत्रियों की प्रभावशीलता का भी बारीकी से आकलन किया जा रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के कई वरिष्ठ मंत्री अपने क्षेत्र की जनता पर प्रभाव डालने में विफल रहे हैं।
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UP में प्रदर्शन की गहन समीक्षा भी होगी
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, संगठनात्मक बदलावों से भी इनकार नहीं किया जा सकता। भाजपा अध्यक्ष के रूप में नड्डा तब तक काम करेंगे, जब तक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता। इस बीच उत्तर प्रदेश में आवश्यक संगठनात्मक बदलाव किए जा सकते हैं। पिछले साल भाजपा ने जिला और क्षेत्रीय स्तर पर बदलाव किए थे।
पूर्व मंत्री भूपेन्द्र चौधरी को स्टेट यूनिट का अध्यक्ष बनाया था, जिससे संकेत मिले की भाजपा का फोकस जाट समुदाय पर ज्यादा है, लेकिन नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं मिले। ऐसे में पार्टी जल्द ही इतनी सारी सीटों पर हार और वोट शेयर में भारी गिरावट के कारणों का पता लगाने के लिए अपने प्रदर्शन की गहन समीक्षा करेगी। भाजपा उत्तर प्रदेश में अपने सहयोगियों के पदचिह्नों का फिर से आकलन करने की भी योजना बना रही है।
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जो सहयोगी दल नहीं दिखा पाए, उन पर रहेगी नजर
भाजपा की सहयोगी पार्टी SBSP के अरविंद राजभर को घोसी में सपा के राजीव राय ने 1.60 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया है। NISHAD पार्टी के प्रमुख संजय निशाद के बेटे प्रवीण निषाद, SP के पप्पू निषाद से 92000 से अधिक वोटों के अंतर से हार गए। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रवीण संत कबीर नगर से मौजूदा सांसद थे। अपना दल (एस) उम्मीद के मुताबिक, कुर्मी वोट बैंक को मजबूत करने में मदद नहीं कर सका।
जयंत चौधरी को मौका देने का खास मकसद
सूत्रों के मुताबिक, रालोद का भी यही हाल था, जो मुजफ्फरनगर सहित कुछ जाट बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में हार को टाल नहीं सका। हार ने स्पष्ट रूप से OBC वोट बैंक को भाजपा से दूर किया है। बावजूद इसके पार्टी ने अपने सहयोगियों को समर्थन दिया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उसके बाहर कुर्मी और जाट समुदायों तक पहुंचने के लिए जयंत चौधरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला किया, लेकिन भविष्य में उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन में बड़े बदलाव किए जाने की योजना है।
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