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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

इलाहाबाद HC का निजी स्कूलों के लिए बड़ा आदेश, कहा- कोरोना काल में वसूली फीस का 15% हिस्सा वापस करें

इलाहाबादः कोरोना काल (Covid-19 Period) में क्लासेज नहीं चलने के बाद भी निजी स्कूलों (Private Schools) की ओर से फीस वसूली गई थी। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की ओर से ऐसे अभिभावकों को राहत देने वाला फैसला सुनाया गया है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे […]

Author Published By : Naresh Chaudhary Updated: Jan 17, 2023 14:20
Allahabad High Court

इलाहाबादः कोरोना काल (Covid-19 Period) में क्लासेज नहीं चलने के बाद भी निजी स्कूलों (Private Schools) की ओर से फीस वसूली गई थी। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की ओर से ऐसे अभिभावकों को राहत देने वाला फैसला सुनाया गया है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे कोरोना काल में अभिभावकों से ली गई फीस का 15% हिस्सा वापस करें। कोर्ट का यह आदेश 2020-21 सत्र पर लागू है।

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मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने दिया फैसला

समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से बताया गया है कि कोरोना काल में जमा की गई स्कूल फीस के नियमन को लेकर अभिभावकों की ओर से दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का फैसला आया। मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने स्कूलों को 2020-21 सत्र के दौरान ली गई कुल फीस के लिए अगले सत्र में समायोजन का निर्देश दिया है।

अभिभावकों ने हाईकोर्ट में लगाई थी गुहार

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि स्कूल छोड़ने वाले छात्रों के लिए संस्थान द्वारा वर्ष 2020-21 में ली गई फीस का 15% वापस करना होगा। इसके लिए हाईकोर्ट ने स्कूलों को प्रक्रिया पूरी करने के लिए दो महीने का समय दिया है। बता दें कि अभिभावकों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी।

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शिक्षा का व्यावसायीकरण किया!

अभिभावकों की ओर से कहा गया था कि निजी स्कूलों ने वर्ष 2020-21 के लिए ऑनलाइन ट्यूशन के अलावा कोई सेवा नहीं दी गई। याचिका में कहा गया था कि इस तरह ट्यूशन फीस का एक-एक रुपया वसूलना, कुछ और नहीं बल्कि शिक्षा का मुनाफाखोरी और व्यावसायीकरण है।

इन फैसलों का दिया हवाला

याचिकाकर्ताओं ने तर्क के समर्थन में इंडियन स्कूल और जोधपुर बनाम राजस्थान राज्य में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का भी हवाला दिया। शीर्ष अदालत ने माना है कि निजी स्कूलों द्वारा बिना कोई सेवा प्रदान किए फीस की मांग करना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यावसायीकरण के बराबर है।

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First published on: Jan 17, 2023 01:54 PM
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