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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, बागपत में 6 हजार बीघा जमीन जलमग्न

Baghpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी के कारण यमुना के जलस्तर में बढोतरी के कारण दर्जनों गांव प्रभावित हो गए हैं। जिले में लगभग 6 हजार बीघा कृषि भूमि यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण पानी में समा चुकी है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : sachin ahlawat Updated: Aug 31, 2025 17:52
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हथिनीकुंड बैराज

Baghpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी के कारण यमुना के जलस्तर में बढोतरी के कारण दर्जनों गांव प्रभावित हो गए हैं। जिले में कई जगहों यमुना के किनारे फसलें और झोपड़ियां भी पानी में डूब गई हैं। जिले में लगभग 6 हजार बीघा कृषि भूमि यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण पानी में समा चुकी है। इसके अलावा बढ़ते पानी के कारण किनारों पर कटान हो रहा है। किसानों की जमीन कटान की चपेट में आने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं कई स्थानों पर यमुना किनारें पशुओं के चारे के खेत भी पानी में डूब चुकें है। जिसके कारण किसानों के सामने पशुओं के चारे तक का संकट भी खड़ा हो गया है।

400 बीघा भूमि कटान के कारण नदी में बही

यमुना का जलस्तर फिलहाल 211 मीटर पर दर्ज किया गया है। वहीं नदी में बढ़ते जलस्तर को लेकर सिंचाई विभाग भी स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार को हथिनीकुंड बैराज से 80 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो बागपत पहुंच गया है। इसके बाद नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा। इसके अलावा शनिवार को भी बैराज से 70 हजार क्यूसेक पानी और छोड़ा गया, जिसके रविवार शाम तक बागपत जिले में पहुंच जाएगा। जिले के कई गांवों जैसे सिसाना, शबगा, निवाड़ा, नैथला, बागपत और सुभानपुर में सैकड़ों बीघा फसल पानी में डूब चुकी है। ज्वार, लौकी, गेंदे के फूल समेत अन्य फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। इसके अलावा लगभग 400 बीघा भूमि कटान की वजह से नदी में बह गई।

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फसल डूबने से पशुओं के चारे की समस्या

स्थानीय किसानों का कहना है कि हरियाणा की ओर से लगाई गई ठोकरों के कारण यमुना की धार बागपत जिले की तरफ मुड़ गई है। नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण जिले में नुकसान ज्यादा हो रहा है। किसान राजपाल सिंह का कहना है कि फसल और जमीन डूबने से भविष्य अंधकारमय हो गया है। किसान राहुल कुमार ने बताया कि चारा डूबने से पशुओं को खिलाने की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। इसके अलावा धर्मेंद्र पंवार ने बताया कि कई बीघा खेत नदी में समा गए हैं। जिसके कारण भारी नुकसान हुआ है। वहीं इस मामले में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता रजनीश कुमार के अनुसार, यमुना में 70 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। यमुना के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए टीम को अलर्ट पर रखा गया है और प्रभावित गांवों में नजर रखी जा रही है।

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First published on: Aug 31, 2025 05:43 PM

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