नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुए सामूहिक दुष्कर्म के बाद हुए बवाल की साजिश के एक मामले में वर्ष 2020 से जेल में बंद पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत देने पर सहमति जताई। बता दें कि केरल के पत्रकार कप्पन पर कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। निचली अदालतों की ओर से बार-बार जमानत से इनकार किया गया था। इसके कारण अक्टूबर 2020 से वह सलाखों के पीछे हैं। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तें भी रखी हैं।
पहले शांति भंग फिर देशद्रोह के लगे आरोप
जानकारी के मुताबिक सिद्दीकी कप्पन को सबसे पहले शांति भंग करने की आशंका पर तीन अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन पर देशद्रोह और आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) व सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के उल्लंघन के आरोप लगाए गए। आपको बता दें कि हाथरस जिले में एक युवती के साथ गैंगरेप की वारदात के बाद बड़ा बवाल हुआ था। गांव पूरा छावनी बन गया था। वहीं कांग्रेस समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने विरोध प्रदर्शन किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जांच की प्रगति और अभियोजन की ओर से जुटाई गई सामग्री और तथ्यों पर टिप्पणी नहीं करेंगे, क्योंकि विवाद उनके खिलाफ आरोप तय करने को लेकर है। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष से यह भी पूछा कि वह कौन-सा सबूत है जो बताता है कि वह मामले में शामिल था। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कप्पन को तीन दिन के भीतर निचली अदालत ले जाया जाएगा और जैसा वह उचित शर्तों के साथ जमानत पर रिहा किया जाएगा।
कप्पन पर लगाई गई ये शर्तें
1. कप्पन दिल्ली में जंगपुरा पुलिस के अधिकार क्षेत्र में रहेंगे।
2. कप्पन निचली अदालत की स्पष्ट अनुमति के बिना दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेंगे।
3. कप्पन प्रत्येक सोमवार को स्थानीय पुलिस थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे और यह शर्त अगले छह सप्ताह के लिए लागू होगी।
4. छह सप्ताह के बाद कप्पन केरल जाने के लिए स्वतंत्र होंगे, लेकिन उन्हें प्रत्येक सोमवार को वहां के स्थानीय पुलिस थाने में रिपोर्ट करनी होगी। साथ ही वहां बनाए गए रजिस्टर में अपनी हाजिरी दर्ज करनी होगी।
5. कप्पन कोर्ट की ओर से दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेंगे और विवाद से जुड़े किसी भी व्यक्ति से संपर्क नहीं करेंगे।