नई दिल्ली: ओडिशा से एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां बीमारी से मौत के बाद एक व्यक्ति का पोस्टमार्टम दलित डॉक्टर ने किया। इसकी जानकारी जब मृतक के रिश्तेदारों को हुई तो उन्होंने अंतिम संस्कार में शामिल होने से इनकार कर दिया। इसके बाद गांव के सरपंच के पति ने शव को बाइक पर रखकर श्मशान घाट पहुंचाया और अंतिम संस्कार कराया। घटना ओडिशा के बरगढ़ जिले की है।
जानकारी के मुताबिक, दिहाड़ी मजदूर मुचुनु संधा लीवर की बीमारी से पीड़ित थे। उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान शुक्रवार को उनकी मौत हो गई। मौत के बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद एंबुलेंस से उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव ले जाया गया।
गांव के लोग भी मृतक के घर नहीं पहुंचे
गांव में मुचुनु का शव उसके घर के अंदर पड़ा था। शव के पास मुचुनु की प्रेग्नेंट पत्नी, तीन साल की बेटी और उसकी मां ही मौजूद थी। मृतक के घर में न तो गांव के लोग और न ही उनके परिजन पहुंचे। सबने कहा कि निचली जाति के डॉक्टर ने मुचुनु का पोस्टमार्टम किया है, इसलिए हम उसके घर नहीं जाएंगे। इस बात की जानकारी के बाद ग्राम पंचायत सरपंच के पति सुनील बेहरा मुचुनु के घर पहुंचे और अपनी बाइक पर शव को दाह संस्कार के लिए ले जाने का फैसला किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनील ने एंबुलेंस के भुगतान के लिए लगभग 8,000 रुपये जुटाए थे। हालांकि, सुनील ने बहिष्कार के बारे में सवालों से परहेज किया और कहा कि गांव का एक नियम है। ग्रामीण उन लोगों के अंतिम संस्कार के लिए नहीं आते हैं जिनका पोस्टमार्टम किया जाता है। चूंकि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है, इसलिए मुझे शव को अपनी बाइक पर श्मशान ले जाना पड़ा।
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सुनील ने एंबुलेंस चालक और अन्य लोगों से शव को श्मशान घाट ले जाने का आग्रह किया और वे मान गए। हालांकि सड़क ठीक नहीं होने के चलते एंबुलेंस को बीच रास्ते में ही रुकना पड़ा, जिसके बाद सुनील ने शव को अपनी बाइक से बांधकर एंबुलेंस चालक व सहायिकाओं की मदद से श्मशान ले जाकर अंतिम संस्कार किया।
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